बुंदेलखंड हो या अवध हिंया न जाने केत्ते राजा महाराजा राज करिन हवैं।उनके नाम से आज भी इ जघा मशहूर हवै।बुंदेलखंड हो या अवध हिंया न जाने केत्ते राजा महाराजा राज करिन हवैं।उनके नाम से आज भी इ जघा मशहूर हवै। राजन के समय के बातें कुछ ओर रहै। वा समय आपन-आपन शासन काल मा राजा महाराजा न जाने केत्ते इमारत बनवाइन रहैं। इमारत और किला के नाम सुन के देखै का मन तो बहुते होत हवै।पै आज यहिमा से कुछ इमारत तौ सही सलामत हवैं पै कुछ के हालत तौ बहुतै खराब हवैं। जेहिके बारे मा शासन प्रशासन का भी कउनौ खबर नहीं आय।पै इं इमारतन का कुछ खास समय मा जरुर याद कीन जात हवैं। यहै कारन 15 अगस्त के ख़ास मउका मा इमारत के बारे मा हम कुछ विशेष खबर लिखित हवैं। इं खबर मा जिला के विरासत के विशेषता के बारे मा लिखा गा हवै।इं इमारत राजा महाराजा के जमाना के आहीं अउर इतिहास का बहुतै महत्वपूर्ण समय का देखिन हवैं पै आजौ वहिनतान खड़ी हवैं।इं इमारतन के देखभाल मा बहुतै कमी हवै पै तबहूं हमार जिलन के पहिचान इं इमारतन के कारन होत हवै। जइसे बांदा के शान कालिंजर का किला,कर्वी के खूबसूरती गणेश बाग़, झांसी के बात तौ किला के बिना अधूरी लागत हवै अउर महोबा मा तौ ऐतिहासिक इमारतन के भण्डार हवै।फैजाबाद के खूबसूरती मा चार चांद लगावत हवै गुलाब बाड़ी अउर ललितपुर मा सौराई किला बहुतै मशहूर हवै। आज इं इमारत का हम याद करित हवै अउर इनकर कहानी पाठकन तक पहुंचाइत हवै।यहिसे हिंया के मड़ई एक ख़ास तान का जुड़ाव महसूस करत हवैं। इं इमारत हमारे जिलन के रौनक का बढ़ावे का काम करत हवै पै आजादी के समय मा हम सब इ इमारतन का जरुर से याद करती हन अउर करत रहिबै।