जिला फैजाबाद और अयोध्या। 25 अपै्रल 2015 का दोपहर करीब बारह बजे भाूकंप आने से लोगों में अफरातफरी मच गई। लोग घरों से निकलकर खुले मैदान में निकल आए।
ब्लाक तारून, गांव बारा। यहां के राकेश यादव ने बताया कि भूकंप के समय ट्रैक्टर पर गन्ना लादकर जा रहे थे। अचानक भूकंप आया और ट्राली पलटते-पलटते बच गई। भूकंप से हमारे घर की पक्की दीवार में दरार आ गई।
परसावां महोला की देवी बक्स, देवीदीन और रामचन्दर का खपरैला का घर गिर गया। इनका कहना है कि जब भूकंप आया तो सब अपने-अपने काम से बाहर थे। जिससे किसी को चोट नहीं आई।
अयोध्या के कामाक्षा मन्दिर के महन्त देवेन्द्र दास ने बताया कि जैसे ही हमें भूकंप का एहसास हुआ हम सब बाहर आ गए। इसलिए जान का नुकसान तो नहीं हुआ। मगर मन्दिर की छत जरूर गिर गई।
फैजाबाद धारा रोड के चन्द्रदेव ने बताया कि हम अपने घर में बैठे थे अचानक कुर्सी हिलने लगी। घबराहट में सब बाहर भागे तो देखा कि सब लोग सुरक्षित स्थान पर जा रहे थे।
अमानीगंज अयोध्या में सुरेश नाम के एक व्यक्ति की मिठाई की दुकान के आगे की दीवार गिर गई। जिससे दुकान में बैठे लोग इधर-उधर भागने लगे।
अयोध्या के रेजिडेंट मजिस्ट्रेट आशीष मिश्रा ने बताया कि अयोध्या में कई जर्जर भवन हैं। हमने उनकी जांच शुरू कर दी है। इन जर्जर भवनों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाएगा।
एक सौ पचपन साल पुराने चर्च पर भारी पड़ा भूकंप
लखनऊ। शहर के हज़रतगंज शहर में बने एक सौ पचपन साल पुराने क्राइस्ट चर्च पर भी 25 अप्रैल को आए भूकंप का असर पड़ा। इस चर्च में चार चोटियां थीं। इनमें से एक तो भूकंप के दौरान नीचे गिर गई। बाकी तीन में दरारें आईं। माना जाता है कि उत्तर भारत में यह पहला चर्च था। जबकि देश में बनने वाला यह तीसरा चर्च था। यह भी कहा जाता है कि 1857 में पहली बार जब भारत की सेना ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी, उसमें कुछ अंग्रेज अधिकारी मारे गए थे। उन्हीं की याद में यह बना था। यहां काम करने वाले अनुज कुमार ने बताया मैं यहां बारह सालों से काम करता हूं। शनिवार के दिन अचानक मेरा बिस्तर हिलने लगा। बाहर शोर सुनकर मैं भागा। मेरे सामने यह पूरा चर्च हिल गया। मैं डर के मारे बाहर ही सोता हूं। हमने चर्च में हुए नुकसान की सूचना बिशप यानी चर्च के मुख्य पादरी को दे दी है।
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