हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में आज भी पुरूषों की तुलना में महिलाएं कम सोशल मीडिया का प्रयोग करती हैं। देश में 155 मिलियन भारतीय सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं पर इसमें भी लिंग असमानता देखने को मिलती हैं क्योंकि 25 प्रतिशत से भी कम महिलाएं फेसबुक का प्रयोग करती हैं।
इसके बावजूद भी पिछले साल फेसबुक का दूसरा सबसे बड़ा बाजार भारत ही था। आज भी बहुत से देशों में इंटरनेट महिलाओं की पहुंच से बाहर है।
सोशल मीडिया के कम प्रयोग के प्रतिशत को समझने से भी ज्यादा जरूरी है कि क्यों भारत की महिलाएं सोशल मीडिया का प्रयोग अन्य देशों की महिलाओं से कम कर रही हैं।
देश में आज भी लड़कियां लड़कों के नाम पर अकाउंट बनाकर सोशल मीडिया का प्रयोग करती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि लड़कियों की ऑनलाइन सक्रियता होने पर उन्हें ऑफलाइन धमकियां मिलने लगती हैं।
आज भारतीय युवाओं की एक बड़ी तादाद इंटरनेट का प्रयोग कर रही है, पर दूसरी तरफ युवा महिलाएं इंटरनेट का प्रयोग नहीं करती थी। देश में आज भी कम आय वाले परिवारों में एक डिवाइस से इंटरनेट चलाया जाता है। उस डिवाइस पर भी भाईयों का अधिकार होता है और वह उसे अपने पास ही रखते हैं। पर कभी-कभी लड़कियों को फिल्म देखने के लिए इंटरनेट मिल जाता है लेकिन फिर भी उनकी सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी ही होती है।
यही नहीं, शादीशुदा महिलाएं यदि सोशल मीडिया का प्रयोग करती हैं तो उन्हें भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है.
सोशल मीडिया में महिलाओं की ये भगीदारी सोचने में मजबूर करती है कि क्या सच में देश में लिंग समानता है? आज भी सोशल मीडिया में सक्रिय रहने वाली महिलाओं को धमकियां और अभद्र भाषा का सामना करना पड़ रहा है।
साभार: द लेडीज फिंगर