संयुक्त राज्य अमेरिका के जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने दुनिया के 15 देशों को लेकर स्वास्थ्य सम्भादित एक अध्ययन किया है,जिसमें भारत में पांच साल से कम आयु के कम से कम 296,279 बच्चे डायरिया और निमोनिया से मरे हैं। ये अध्ययन देश में बच्चों के स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकरी और उसे बेहतर बनाने की जरुरत को बताती है।
वर्ष 2013 में यह 33 प्रतिशत था,जो 2016 में 41 प्रतिशत हो गया। इसकी वजह बच्चों का सही तरह से टीकाकरण करना और स्तनपान है। ‘प्रॉग्रेस रिपोर्ट ऑन निमोनिया और डायरिया’ के अनुसार 9 प्रतिशत बच्चों की मौत दस्त के कारण और 16 प्रतिशत मौत का कारण निमोनिया है।
निमोनिया के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने वाले बच्चों में बढ़त मिली है,जो वर्ष 2013 में 69 प्रतिशत से 2016 में यह बढ़कर 77 प्रतिशत हुआ है। इसी अवधि के दौरान दस्त के लिए ओआरएस मिलने वाले बच्चों की संख्या 26 प्रतिशत से 34 प्रतिशत हुई है।
अफगानिस्तान और सूडान जैसे देशों में 64 प्रतिशत और 59 प्रतिशत बच्चों ने निमोनिया के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं,जबकि भारत में 29 प्रतिशत बच्चों को एंटीबायोटिक दवाएं मिली हैं। इस मुद्दे पर भारत का प्रदर्शन पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी नीचे है। निमोनिया की एंटीबायोटिक दवाएं पाकिस्तान में 41.5 प्रतिशत और बंगलादेश में 34.2 प्रतिशत बच्चों को मिली हैं।
(साभार: इंडियास्पेंड)