चिकित्सीय परामर्श पर हुए सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय शोध के अनुसार, भारत के डॉक्टर या प्राथमिक परामर्श केंद्र, मरीजों को सिर्फ दो मिनट का वक्त देते हैं। पड़ोसी शहर बंग्लादेश और पाकिस्तान में स्थिति और भी बदतर है, यहां परामर्श का समय औसतन 48 सेकंड से 1.3 मिनट ही है।
इसके विपरीत स्वीडन, अमेरिका और नॉर्वे जैसे देशों में परामर्श का औसत समय 20 मिनट सामने आया। यह शोध इंग्लैंड के कई अस्पतालों के शोधकर्ताओं ने किया था। शोध के अनुसार, ‘यह चिंता की बात है कि 18 ऐसे देश जहां की दुनिया की 50 फीसदी जनसंख्या रहती है यहां का औसत परामर्श समय 5 या इससे कम मिनट निकला है।
शोध के अनुसार, मरीज ज्यादा वक्त दवाखाने में या ऐंटीबायॉटिक दवाएं खाकर बिता रहे हैं और उनके डॉक्टरों से रिश्ते उतने अच्छे नहीं है।
शोध में बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में भी डॉक्टर भीड़ के चलते एक साथ दो–तीन मरीजों को बैठा लेते हैं। वहीं प्राइवेट क्लीनिक और अस्पतालों में भी भीड़ का यही हाल है। यहां डॉक्टर सिर्फ लक्षण पूछते हैं और बहुत कम ही शारीरिक परीक्षण कर पाते हैं।