भारत का हर तीसरा बच्चा अपने विद्यालय में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता है। ये बात ‘चाइल्ड फंड इंटरनेशनल’ संस्था द्वारा कराए गए ‘स्मॉल वॉयस, बिग ड्रीम्स’ नाम के खोज में कही गई है। भारत में लगभग एक तिहाई बच्चे अपने विद्यालयों में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। इस सर्वे में भारत, अफगानिस्तान, कंबोडिया और जाम्बिया जैसे कई देशों के 10 से 12 साल के करीब 6,000 बच्चे के भाग लिया। लगभग 23 प्रतिशत बच्चों ने शारीरिक और डराने दण्ड से खुद को सुरक्षित बताया, जिसमें शारीरिक, मानासिक उत्पीड़ण और हिंसा शामिल नहीं थी।
बच्चों ने अपने विद्यालय की चारदीवारी और शौचालय की परेशानी से अलग विद्यालय में मिलने वाले शारीरिक दण्ड और डराने से अधिक परेशान हैं। विकसित देशों के 64 प्रतिशत बच्चों ने शिक्षा को महत्वपूर्ण माना है, जबकि विकासशील देषों में ये प्रतिशत 40 है, वहीं भारत में 45 प्रतिशत बच्चों का ऐसा मानना है।
इस सर्वे के अनुसार, यदि उन्हें उनके देश में शिक्षा व्यवस्था बदलने का मौका मिले तो सभी बच्चों के पास अपने देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के तरीके भी है। साथ ही भारतीय बच्चे विद्यालय में अधिक सीखने वाला वातावरण और कक्षा को अधिक आधुनिक करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षा सहज होने के साथ उसमें मनोरंजन के लिए खेल और रचनात्मकता को बढ़ाने वाली भी हो।