वुशु चीनी मार्शल आर्ट की एक शैली है जिसे सामान्य रूप से हाथ और पैर की कलाबाजियों के साथ खेला जाता है। वुशु को कुंग फू भी कहा जाता है लेकिन चीनी शब्द की अपेक्षा वुशु कहना अधिक सरल होता है। यूँ तो मार्शल आर्ट चीनी कला है लेकिन भारत में भी इस कला के दीवाने हैं।
भारत में अब इस खेल को मुख्य खेलों की तरह खेला जाने लगा है। खेलों में वुशु खेल की बारीकियों से लेकर मार्शल आर्ट के गुर सिखाए जाते हैं। जैसे किक के द्वारा पत्थर तोड़ना, मुक्के से बर्फ की दो सिली तोड़ना आदि।इसी कड़ी में भारतीय वुशु टीम ने चीन के शियान में चार से छह नवंबर तक हुए आठवें सांडा विश्व कप में चार रजत और एक कांस्य पदक सहित कुल पांच पदक जीत लिए हैं। इस प्रतियोगिता में, 2015 में हुई 13वीं विश्व वुशु चैम्पियनशिप के 80 सर्वश्रेष्ठ सांडा खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। जिनमें से पांच खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
अर्जुन पुरस्कार विजेता और विश्व रजत पदक विजेता वाई सनाथोई देवी ने भारत के लिए रजत पदक जीता। उन्हें 52 किग्रा वर्ग के फाइनल में चीन की लुआन झांग के खिलाफ शिकस्त झेलनी पड़ी। भारत के लिए उचित शर्मा (52 किग्रा), सूर्य भानू प्रताप सिंह (60 किग्रा) और मोनिका (56 किग्रा) ने रजत पदक जीते जबकि पूजा कादियान (75 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया।
भारतीय वुशु टीम को आठवें सांडा विश्व कप में मिले पांच पदक
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