हमारे देश में महिलाएं ही घर में खाना बनाने का काम करती हैं, जिसके कारण वे परिवार के सभी सदस्यों को भोजन करा कर खुद खाना खाती हैं। इस कारण से कई बार वे भर पेट भोजन नहीं खा पाती हैं।
राजस्थान न्यूट्रिशन प्रॉजेक्ट नाम के एक अध्याय में ये बात सामने आई कि महिलाओं के परिवार के साथ खाना नहीं खाने से वे अधिक कुपोषण की शिकार हो रही हैं। इसका कारण कम खाना खाने के साथ बासी खाना भी है। इस अध्ययन में ये बात भी सामने आई कि घर में पैसा कमाने वाले इंसान को अधिक पौष्टिक भोजन खाने का अधिकार है। इसके कारण भी महिलाएं पौष्टिक भोजन से दूर हो जाती हैं।
यूनिसेफ के अनुसार भारत में रीप्रोडक्टिव एज में आने वाली हर तीसरी महिला में से एक बॉडी मास इंडेक्स 18.5 किलोग्राम से कम हैं, जबकि एक समान्य इंसान में ये 18.5 से 25 के बीच होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रन में बताया गया है कि भारत में षारीरिक रुप से कमजोर बच्चों की संख्या बहुत अधिक है। हर 10 में से 4 बच्चे शारीरिक रुप से कमजोर हैं।
1992 से 1993 और 2005 से 2006 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे बताता कि 0 से 5 साल की उम्र तक लड़कियों की तुलना में लड़के अधिक कमजोर होते हैं। पर 5 साल के बाद ये बदल क्यों जाता हैं। इसके कारण ये रिपोर्ट नहीं बताती है। इस खबर को पढ़ने के बाद हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय महिलाएं परिवार के साथ ही भोजन करें।
भारतीय महिलाओं को परिवार के साथ क्यों खाना चाहिए भोजन
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