जिला ललितपुर, ब्लाक मड़वारा इते के आदमियन को आरोप हे के अशोक के बाप तिरपत की उनके परिवार के बड़े दादा बालचंद्र ने छत से धकेल दओ। जी से उनकी मौत हो गयी। जो लड़ाई जमीन के वटबारे को लेके भई ती।
अशोक ने बताई के आपस में हिस्सा वांट कर रए ते सो बालचंद हमाय बड़े पापा ने धक्का दे दओ जानबूझ के सो हमाय बाप ख़तम हो गये। हम हाल डॉक्टर नो ले गये फिर ललितपुर गये लेकिन बे ख़त्म हो गये ते। बे हमेशा अपनी दवंगी से हम ओरन को परेशान करत रत ते।
एक दो बार हमाय बाप को मारबे के लाने घेरो और हमे भी जान से मारबे की कोशिश करी। बे ओरे सोचत के हम इनकी पूरी जमीन हड़प लेबे।
एफ़ आई आर तो नइ करी अबे हमने काय के हम किते चले जाए एसे में। हमाई मताई तो कल से अबे तक होश में नइ आई। हम का चले जाबे उने छोड़ के और कोऊ हे नइया।
कुसुम तिरपत की बहू ने बताई के जमीन को लेके लड़ाई भई सो धक्का दे दओ हमाय ससुर को सो बे ख़तम हो गये हाल।
हमाय ससुर तीन भज्जा हते सो हमेशा से हमाय ससुर सीदे हते सो बे लड़ाई नइ करवो चाहत ते। और बे तीनऊ जने बैठ के जमीन के बारे में बात कर रए ते सो जो कछु बात भई होबे। और हमाय ससुर उते से उठ के आन लगे सो बड़े ससुर ने धक्का दे दओ।
सीता बालचंद्र की बहू ने बताई के बस तनक बात भई। तीनऊ जने बैठे ते जब के तुम का कर हो थाने में बंद करा देहो। और बे उते से उठ के भग याय फिर नइ पतों के का भओ और केसे गिर परे। लेकिन हमाय ससुर ने धक्का नइ दओ। हमे तो झूठ फसाव जात हे।
सुषमा