खाद, खाद, खाद-या समय किसाानन के खेती बोवैं का परी है, पै सहकारी समितियन मा खाद कम आवैं से सब किसानन का खाद नहीं मिल पावत आय। यहिसे खाद पावैं खातिर किसानन के बीच बहुतै मारामारी है।
एक तौ सरकार अपने आमदनी खाातिर मा एक समिति मा हजारन किसान का सदस्य बना लेत है, पै हजारन किसान के हिसाब से खाद नहीं भेजत। उत्तर प्रदेश के बांदा जिला मा छियालिस सहकारी समिति हंै। यहिके बाद भी बोवाई के समय किसानन का खाद बीज नहीं पुंज पावत आय। दूसर कइत सहकारी समिति के करमचारी प्राइवेट दुकानन से मिल के नियम से ज्यादा कीमत के खाद बेंचवा के कमाई करत हंै। सरकार कइत से किसानन के आंकड़ा के हिसाब से खाद बीज दीन जाय। साथै फसल के समय का भी ध्यान दीन जाय।
अगर या साल के बात कीन जाय तौ आधे से ज्यादा किसान अरहर, मूंग, ज्वार, मसूर अउर तिल जइसे अनाज के बोवाई तौ करिन, पै ज्यादातर या फसल सूख गे। अब चना अउर गेहूं के बोवाई का समय का है। किसान जमीन के हिसाब से जोताई बोवाई अउर खाद बीज मा पता नहीं केतना रूपिया खर्च करत है। यहिके बाद भी सींच बाकी भी भरै का परत है। यहै कारन है कि बहुतै कम मड़ई किसानी का काम करत है। पता नहीं इनतान के समस्या से कब तक किसान जुझिहैं? यहिके खातिर खास कइके सरकार अउर कृषि मंत्री का ध्यान दंे का चाही।
बोवाई के समय खाद के दिक्कत
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