संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ थी, जो 2016 में 1.77 करोड़ थी। ललितपुर जिला के महरौनी ब्लाक के भूसरा गांव में ऐसे ही हुआ है। यहां की युवा पीढ़ी पढ़-लिखकर रोजगार का इंतजार कर रहे हैं।
मनोज व्यास का कहना है कि हमने आईटीआई, ग्रेजुएशन, प्रधानमंत्री डिप्लोमा और कम्पूटर का डिप्लोमा सब कुछ किया है तब भी हमें नौकरी नहीं मिल रही है। हमारे पास घूस देने के लिए दस लाख नहीं है। मां- बाप ने सारा पैसा पढ़ाई में खर्च कर दिया है। वहीं पैसा लगाकर कुछ धंधा करते तो ठीक रहता। रमेशचंद्र ने बताया कि 2012 में बीए फाइनल तक की पढ़ाई की है। सात-आठ किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे। सरकार हमें रोजगार देती है न बेरोजगारी भत्ता देती है। विनोद कुमार का कहना है कि हमारे गांव में स्कूल नहीं है इस कारण दस-पन्द्रह किलोमीटर दूर दूसरे गांव में पढ़ने जाते थे। गांव में कोई सुविधा नहीं है कि नौकरी के बारें में पता चले, न यहां कोई अख़बार आता है।गणेश ने बताया कि हमारे मां-बाप ने मजदूरी करके पढ़ाया है फिर भी कुछ काम नहीं मिल रहा है। प्रशांत का कहना है कि दो लाख रूपये पढ़ने में लगे हैं, बहुत मुश्किल से बीए पास किया है तब भी घर में बैठे है हमारे लिए कोई रोजगार नहीं है।
एसडीएम धीरेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री और यूपी सरकार ने कौशल योजना चलाकर लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है और सेल्फ रोजगार के तहत भी रोजगार दिए जा रहे हैं।
रिपोर्टर- राजकुमारी