जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड बथनाहा, पूर्वी। उहां के गायत्री कुमारी के उमर लगभग उन्नीस साल हई। उ विकलांक छथिन फिर भी विधवा माई के परवरिश करई छथिन।
उनकर माई सुमित्रा देवी कहलथिन कि हमर बेटी ठीक रहे जन्म के चार साल बाद पैर से विकलांग हो गेल। गायत्री कहलथिन कि जब हमर बाबू जी मर गेल त चारो भाई अपन-अपन परिवार लेके बाहर रहे लगलक। माई के परिवार चलावे में दिक्कत होय। हमरा सरकार के तरफ से ट्राईसाईकिल मिलल। ओई के बाद हम कोचिंग अउर प्राईवेट विद्यालय में पढ़ावे लगली। ओही से माई के साथ परिवार भी चलबईले अउर पढ़ाई भी पुरा करईले। अभी हम बी.ए. सेकेण्ड पार्ट में पढ़ई छी। हम कम्प्यूटर भी सिखे के चाहई छी लेकिन बथनाहा में सिखे के सुविधा न हई अउर हम विकलांग होये के कारण सीतामढ़ी न जा सकई छी।
बेटी ही सहारा
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