जिला बांदा। बचपन से बुन्देली धुनों के साथ बुन्देली गीतों को लिखने और गाने वाले कलाकार रामप्रसाद उर्फ मुन्ना राही का सपना बुन्देली फिल्म बनाने का है। अगर थोड़़ी मदद सरकार से मिल जाए तो वह अपना सपना साकार कर सकते हैं। लेकिन उनको इस बात का मलाल है कि अपनी संस्कृति को जिंदा रखने वाले कलाकारों की सरकार की नज़र में कोई मान्यता नहीं है।
मुन्ना राही बताते हैं कि बचपन से ही बुन्देली धुनों के साथ गीतों को सुनना और लिखना उनका बहुत बड़ा शौक रहा है। वह बुन्देली गीतों को लिखते हैं और ढोलक, मंजीरा, हरमोनियम की धुनों के साथ अपनी आवाज देते हैं। यह अपने गीतों के माध्यम से सरकारी योजनाओं को लोगों के बीच फैलाते हैं। सरकारी कार्यक्रमों में भी अपने जलवों को बिखेर कर सबका मन मोह लेते हैं। वह नरैनी ब्लाॅक के खरौंच गांव से प्रधान भी रह चुके हैं।
इसके बाद भी सरकार की तरफ से किसी भी तरह की मदद नहीं मिली। उनको इस बात की शिकायत है कि ब्लाॅक, जिला और राज्य स्तर तक के कार्यक्रमों में काम करने और गाने के लिए बुलाया जाता है लेकिन आज तक किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं की गई है। जिससे कि वह अपनी कला को और आगे तक ले जा सकें और बुन्देली फिल्म बनाने के सपने को साकार कर सकें।
अभी भी अगर सरकार से मदद मिल जायेगी तो वह फिल्म बनकर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।
बुन्देली कलाकारी की अलख जगा रखी है मुन्ना राही
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