पूरा बुन्देलखण्ड इनतान के भयंकर गर्मी मा बूंद-बूंद पानी का तरसत है। पहाड़ी इलाकन मा पानी का जल स्तर बहुतै नीचे चला गा है। कुआं सूख गे हैं। कतौ-कतौ मड़ई कुअंन से कादौ तक छान के पियै का मजबूर है। षहरी इलाकन मा जहां के पाइप लाइन चालू हालत मा हैं होआ बिजली के कटौती से सप्लाई वाला पानी समय से नहीं आवत तौ दूसर कइती बांदा अउर चित्रकूट के कइयौ गांवन मा कतौ पाइप लाइन अधूरी हैं तौ कतौ टूटी होय के कारन ग्रामीण जनता पानी का तरसत है। सरकार इनतान के अव्यवस्था का सुधारै मा नाकाम काहे है?
पानी के नाम मा सरकार करोड़न का बजट पानी के जइसे बहावत है, पै ग्रामीण जनता के पियास बुझावै मा सफल निहाय। गर्मी आवंै के पहिले जिला के प्रषासन कतौ भी पानी के कमी न होय का दावा करत रहै। कहत रहै कि जहां पानी के समस्या नजर अई होंआ जल निगम कइत से पानी के टैंकर भेजे जइहैं, पै वा भी दावा का पूरा नहीं कीन जात है।
चित्रकूट जिला मा या समय लगभग ढाई हजार हैण्डपम्प खराब हैं। सबसे ज्यादा पानी के संकट से जूझत है मानिकपुर का पथरीला इलाका, पै होंआ के खातिर प्रषासन पानी के अलग से कउनौ व्यवस्था काहे नहीं करत है? या साल ही पानी के कमी होब कउनौ नई बात न होय। हर साल गर्मी मा जनता का यहै मुसीबत से गुजरै का परत है। या समस्या से सरकार अनजान निहाय। वा चाह ले तौ पानी के समस्या का कम करै का हल निकाल सकत है, पै पानी का हल तौ सरकारी कागजन तक ही सीमित रहत है। चुनाव के समय भी नेता मंत्री पानी के समस्या का कम करै के खातिर बडे-बडे वादा करत हैं, पै जीतै के बाद उनकर खुद के पियास नहीं बुझत तौ उई जनता के पियास कहां से बुझा पइहैं ? अब पंचायती राज चुनाव के तैयारी भीतरै-भीतर खूबै चलत होई अउर चुनावी मुद्दा भी खोजे जात होइहैं। जाहिर से बात है कि पानी का मुद्दा भी उठावा जा सकत है, पै जनता का सोच के चुनावी मुद्दा के जाल मा आवैं का चाही।