कहां गए बीज? फसल पिछड़ने का डर
ज़िला चित्रकूट। बेमौसम बरसात से मची तबाही के बाद अब मानसून के आते कई किसानों को बीज समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। इस समय अरहर, तिल, धान, उर्द और मूंग के बीज के लिए किसान कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं।
ब्लाक कर्वी, गांव भैसौधा। भौरौंहा पुरवा के शिवफूल और राधे अपना काम छोड़ बीज लेने सुबह दस बजे बीस किलोमीटर दूर कर्वी आए थे। ‘हमें शाम को खाली हाथ लौटना पड़ा। ऐसे तो हमारी फसल पिछड़ जाएगी।’
ब्लाक मऊ। गांव ददरी के कौशल, मपई कला गांव के सोनू और मंडौर गांव के संतोष – सभी को अरहर, तिल और उर्द के बीज मऊ बीज भंडार में नहीं मिले। बीज भंडार के प्रभारी रेवती प्रसाद कहते हंै कि अभी सरकार की तरफ से बीज नहीं आया है। धान का सत्रह कुन्तल बीज आया था जो बांट दिया गया है।
जि़ला कृषि उपनिदेशक जगदीश नारायण ने ये तो गिना दिया कि कौन से बीज कितने बांटे जा चुके हैं पर अंत में कहा कि जि़्ाले में बीज पर्याप्त हैं। अगर किसी भी किसान को बीज ना मिल रहा हो तो उनके पास शिकायत करें।
बदला मौसम, मांगें नहीं
ज़िला बांदा। फसल बर्बादी का मुआवज़्ाा न मिलने के कारण अब किसानों के बच्चों की शिक्षा के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। मुआवज़्ो की मांग 7 जुलाई को पांचों तहसील दिवस में छाई रही।
6 जुलाई को राष्ट्रीय स्वराज पैंथर ने एक दिन का धरना प्रदर्शन करके राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। लोक हकदारी मंच की अगुवाई में कई संगठनों ने मिलकर जन सुनवाई का कार्यक्रम किया। भारतीय किसान यूनियन ने कई मांगें डी.एम. के सामने रखी हैं।
ए.डी.एम. डी.एस. पाण्डेय का कहना है कि जि़्ाले में तीन लाख दस हज़्ाार किसानों को उन्तालिस करोड़ रुपए मुआवज़्ो के रूप में बांटे जा चुके हैं। आने वाले एक हफ्ते में सोलह हज़्ाार और किसानों को मुआवज़्ाा देने का आदेश दे दिया गया है।