जिला चित्रकूट,ब्लाक पहाड़ी गांव बकटा बुजुर्ग, बुन्देलखण्ड के मड़ई मूंछ राखे खातिर मशहूर हवैं। यहै कारन हेंया के बहुतै मड़ई मूंछ राखत हवैं।जिला चित्रकूट,ब्लाक पहाड़ी गांव बकटा बुजुर्ग बुन्देलखण्ड के मड़ई मूंछ राखे खातिर मशहूर हवैं। यहै कारन हेंया के बहुतै मड़ई मूंछ राखत हवैं। राजकरन दिवेदी मूंछ के बारे मा गांवत हवै कि मूंछ नहीं तौ कुछ नहीं मूंछ बिना मड़ई भड़ुवा कहावत हवै। काली-काली मूंछन का भारत के आजादी करावै मा हाथ हवै। श्यामलाल विश्वनाथ अउर मेवालाल का कहब हवै कि पहिले मड़ई शौक के कारन मूंछ राखत रहै। पै अब के लड़का घोंट डालत हवै। आज कल लड़कन का मूंछ नींक नहीं लागत आय। गया प्रसाद बताइस कि अब तौ सब मेहरिया बने रहत हवै मूंछ घोंट के पहिले मनसवा मूंछरखत आपन शान मानत रहै। रिंकूकुमार बताइस कि कम्पनी मा काम करित हवै तौ हुंवा मूंछ राखे का कहत हवै।
रिपोर्टर- सहोद्रा
Published on Aug 21, 2017