एते के दसन ओरतन को हे कि हम कम्बल लेय की पात्र होंय के बाद भी हमखा कम्बल नई मिलत आय।
पम्मी ओर मिथला बताउत हे कि सरकार गरीबन खे लाने ठण्डी से बचे खा कम्बल बांटत हे। पे तहसील के कर्मचारी जोन आपत्र हे, ऊखे कम्बल दये जात हे। शियारानी ओर ऊषा ने बताओ कि हमाओ कम्बल लेय आये से सौ रूपइया किराया खर्चा लग गओ हे। सोचत हते कि कम्बल खर्च हो जेहे तो कम से कम ठण्डी से बचे खा कम्बल तो मिल जेहे। अब लागत हे कि ओई सौ रूपइया को कछू ले लेते तो ठण्डी में ओढ़े के काम आउत।
कुलपहाड़ तहसीलदार रामजी ने बताओ कि कुल दस सौ बीस कम्बल आये हते। जोन हर गांव ओर कस्बा में पांच-पांच, छह-छह कम्बल बांटे हे।
एसई कस्बा चरखारी के वफादन ओर नूरजहां ने बताओ कि हम गरीब आदमी हे। केऊ दइयां कम्बल बंट चुके हे। पे हमखा नई मिले हे।
चरखारी तहसीलदार अरविन्द्र ने बताओ कि अभे तक एक हजार कम्बल बंट चुके हे। अभे एक हजार ओर कम्बल की मांग करी हे। अगर कम्बल आ जेहे तो पात्र आदमियन खा दओ जेहे।
बीती जात ठण्डी नई मिले कम्बल
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