जिला फैजाबाद, ब्लाक मिल्कीपुर, गंाव मेहदौना। हिंआ कै मेहरारू बीड़ी बनाय के अपने जिन्दगी कै गुजारा करत बाटिन। जेहमा बहुत कम पैसा मिलाथै।
फरजाना, षाहीन बताइन कि हम पांच साल से बीड़ी बनाईथी अउर हमरे घर मा हमार अम्मी, अप्पी बीड़ी बनावत रहिन। हमरे सब पांच बहिन बाटेन अउर एक भाई बाय। हम सिर्फ पांच तक पढ़े बाटेन आगे केहूं पढ़ाइस नाय कहिन सिर्फ घर कै काम खाना, झाड़ू, बर्तन करै का बाय। नौकरी नाय करावै का बाय। षादी विवाह कराय के तोहरे घरे भेज दियब। यहीसे बहिरे निकरै का नाय मिलत। घरमा बीड़ी बनाय के दुई चार पैसा कमाय लीन जाथै।।
षमिरूलनिषा, रूखसाना बताइन कि यहि गंाव कै लगभग तीन सौ मेहरारू काम कराथिन। सब सुबेरे घर कै काम करै के बाद बीड़ी बनावा थिन। एक दिन मा बीस बन्डल बनाईथी। सिन्धी, किसान दुई मेल कै हिंआ बीड़ी बनावा जाथै। पत्ती, तम्बाखू, धागा सब मिलाथै सिर्फ हमरे सबका बनावै का रहाथै। यसे जवन पैसा मिलाथै। वहीसे घर कै गुजारा हुआथै।
बीड़ी बनाय के करत गुजारा
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