जिला फैजाबाद। किसानों की धान की फसल बारिश न होने से सूख गई है। लेकिन यहां पर अभी गांवों में सर्वे नहीं हुआ है और प्रशासन के पास फसल सर्वे आंकड़ा 31 अक्टूबर 2015 को बनाकर जमा हो गया है।
मया ब्लाक के ग्राम सभा राजापुर गांव चिनगिया के रहने वाले वाले बब्बर साह ने बताया कि फसल सूख गई थी जिससे दो बिघा धान खेत में ही जोतवा डाले लेकिन लेखपाल खेत तक नहीं पहुंचे।
पकरेला के मोहम्मद आरिफ, जमुनीपुर की रहने वाली प्रेमा देवी ने बताया कि गेंहू की फसल का मुआवजा अभी तक नहीं मिला। इस बार धान की फसल सूख गई, सूखा राहत का पता नहीं चल रहा है। लेखपाल ग्राम सभा के प्रधान को चाय की दुकान पर बैठाकर परिचित लोगों का नाम लिख लेते हैं। अगर हम प्रशासन के पास आवेदन देते हैं तो भी सुनवाई नहीं होती है। इस आफिस से उस आफिस दौड़ाते हैं।
अपर जिला अधिकारी वित एवं राजस्व जयशंकर त्रिपाठी ने बताया कि 31 अक्टूबर को सर्वे होकर हर ब्लाक की लिस्ट आ गई है। सर्वे के मानक के अनुसार सूखा नहीं पड़ा है। कृषि विभाग के सहायक कृषि निदेषक (सांख्यिकी) राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि अभी तो फसल कट रही है, कितना नुकसान हुआ है वो सर्वे जिले से होता है। जिला राहत आयुक्त को भेजता है फिर राहत आयुक्त केन्द्र के कृषि विभाग को भेजती है। अभी 3 नवम्बर को बैठक में राहत आयुक्त ने कि अट्ठावन जिले की रिर्पोट दिखाई जिसमें चैदह ऐसे जिले हैं उसने दिखाए हैं जहां तैतीस प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है। ये रिर्पोट राहत आयुक्त की है अभी और जिले की रिर्पोट आनी बाकी है। अभी पंचायती चुनाव भी शुरु होने वाले हैं। उसके बाद ही कुछ हो पाएगा। इस प्रक्रिया में एक साल लग जाते हैं। किसानों की आत्महत्या पर उन्होंने कहा किसान फसल के लिए नहीं अन्य कारणों से आत्महत्या करते हैं लेकिन उसे फसलों के मुद्दों से जोर दिया जाता है। सूखाग्रस्त तभी माना जाता है जब फसल बोआई के समय अगर बारिश नहीं होती है उस कारण अगर बोआई नहीं होती है या पचास प्रतिशत से कम बारिश हो तब सूखा घोषित किया जाता है।
बिना सर्वे किये कैसे मिलेगा मुआवाजा
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