औरत के साथै छेड़खानी, बलात्कार, अपहरण जइसे केस मा पुलिस बहुत कम केष मा कारवाही करत है। रिपोर्ट लिखैं अउर बयान होय के बाद भी काहे कारवाही नहीं कीन जात आय।कारवाही खातिर जनता का धरना प्रदर्धन अउर जुलूस का सहारा काहे ले का परत है।
पिछले हफ्ता से कर्वी अउर बांदा मा रेप के मामला मा अलग-अलग मड़ई भूख हड़ताल करिन अउर धरना प्रदर्षन कइके नियाव के गोहार लगाइन हैं। बलात्कार के अपहरण जइसे के मामला मा अबै भी संवेदनषील निहाय। वा इनतान के केसन मा उल्टा समझउता करैं का दबाव बनावत है। या तौ परिवार कावापस केस लें का दबाव बनावत है। जब कानून बना है तौ वहिका सही इस्तेमाल काहे नहीं कीन जात है। आखिर पुलिस अउर प्रषासन कबै इनतान के मामलन मा गम्भीर होइहैं।