राज्य सरकार आउर केन्द्र सरकार के तरफ से कभी लैपटाप त कभी मोबाइल बांटे के योजना निकलल। उ बात त अलग हव कि के के मिलल आउर के के नाहीं मिलल। लेकिन लैपटाप अउर मोबाइल के चलावे खातिर बिजली चाही। जब गावं में बिजली ना रही त इ कइसे होई? हरहुआं ब्लाक के बिलवारी गावं के सुभाष यादव के कहब हव कि इहां के ट्रांसफार्मर दू महीना से खराब पड़ल हव। जब तक गावं वालन चन्दा इकट्ठा ना करीयन तब तक इ ना बनी। विभाग में जाए से त कउनों फायदा नाहीं हव।
सरकार के तरफ से अपै्रल 2005 में राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के शुरूआत भयल रहल। जेकर उद्देश्य गावं के बिजली उपलब्ध कराइब आउर बी. पी. एल. कार्ड वालन के फ्री में बिजली देवे के रहल। एकरे खातिर कराड़ो रूपया भी खर्च भयल। लेकिन कहीं बिजली नाहीं हव, अगर कहीं हव भी त वहां के ट्रांसफार्मर खराब पड़ल हव। एकाक दू परिवार के छोड़ के ज्यादा लोग के फ्री में बिजली नाहीं मिलल हव।
अगर गावं के ट्रांसफार्मर बिगड़ जाला त लोग प्रशासन में दस बार जाए से अच्छा समझलन कि आपन चन्दा इकट्ठा करवा के बनवा लेई। बिजली के यही हाल रही त कइसे लैपटाप चार्ज होई? कइसे मोबाइल चार्ज होई? कइसे ट्यूबवेल चली? कइसे घर में उजाला होई? आउर कइसे लइकी लइकन के पढ़ाई लिखाई होई?
बिजली पहुंचावे के देखावटी योजना
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