बाँदा जिले के आसपास दर्जन जगहों पर ट्रैक्टरों से रातों–दिन भारी मात्रा में बालू की ढुलाई होती रहती है। जिसे प्रशासन लगभग नजरंदाज करता है। लेकिन पिछले दिनों जब खप्टीहा गाँव के लगभग 50 किसानों ने अपने घरों में शौचालय बनाने के लिए कुछ बोरी बालू लेनी चाही तब मौके पर पहुंच कर पुलिस ने उनके ठेले जब्त किए और बैल भगा दिए।
पुलिस की इस हरकत के बाद परेशान किसान कलेक्टरी पहुँच कर प्रदर्शन करने लगे। खोये बैलों को पाने के लिए और जब्त की गयी गाड़ियों को लेने के लिए किसानों ने ज्ञापन प्रस्तुत किया। खबर लहरिया की रिपोर्टर गीता ने मौके पर पहुंच कर मजबूर किसानों की व्यथा सुनी।
किसान अरुण शुक्ला ने बताया कि हमने दो बोरी बालू ली थी ताकि हमारा शौचालय बन जाये लेकिन पुलिस ने वो हमसे छीन ली और हमारे बैल भी भगा दिए। अब हम उन्हें कहाँ ढूंढे? हम अपनी समस्या लेकर यहाँ आये हैं। एडीएम साहब ने कल कहा था कि वह मदद करेगे लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है।
कुंवर पाल सिंह ने बताया कि हम 23 दिसम्बर से यहाँ लगातार आ रहे हैं लेकिन हमारी कोई सुनने वाला नहीं है।
परेशान किसान शिव कुमार ने कहा, जब रोजाना का 60-70 टैक्टर भर के बालू निकाला जाता है तब पुलिस नहीं देखती हैं। लेकिन जब गरीब किसान दो बोरी बालू जरूरत के लिए निकाल रहा है तो उन्होंने उसे गैर–क़ानूनी बता दिया।
किसानों का साथ दे रही, समाजसेविका उषा निषाद का कहना है कि ये ग्रामीण लोग है, गरीब है। अपने घरों में शौचालय बनवाने के लिए साईकिल से या ठेले और गाड़ियों से बालू लेने गये थे तब एसओ पह्लानी ने उनकी गाड़ियाँ जब्त कर ली। सात गाड़ियों के चौदह बैल जो भगा दिए गये, वह आज तक लापता है।
उन्होंने आगे कहा, जब इन लोगों ने मुझे बताया तब मैंने एडीएम साहब से जवाबदेही मांगी कि जब बालू माफिया सैंकड़ों ट्रक भर कर ले जाते हैं तब कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती, लेकिन जब गरीब किसान अपने काम के लिए बालू ले जा रहा है तब आपने उनके साथ सख्ती कर दी। मैंने एडीएम साहब से कहा है कि यदि वह किसानों की गाड़ियाँ नहीं छुड़वाते हैं तो हम यहाँ अनशन पर बैठेंगे और आर–पार की लड़ेंगे।
इस पूरी घटना के बारे में बोलते हुए जिला बाँदा के एडीएम गंगा राम गुप्ता ने कहा, यहाँ के कथित समाजसेवी और अन्य लोग खनन वालों से कुछ अवांछित लाभ चाहते हैं जिसकी वजह से रोज नए–नए हथकंडे अपनाये जाते हैं। जबकि हमने अवैध खनन को लेकर इतनी कार्यवाही की हैं कि कई पट्टे ही खत्म कर दिए गये हैं। हमारी जानकारी में मात्र एक पट्टा चल रहा है। जिस पर हमारी पूरी निगाह रहती हैं। अब पता नहीं इन लोगों की कितनी अपेक्षाएं हैं जो पूरी नहीं होती हैं और उन्होंने जो बैल खोने वाली बात कही है वो झूठी है।
Published on Jan 10, 2018