जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, कस्बा बरगढ़ बरसात के महीना शुरू होतेन कपाडड़िया समुदाय के मड़ई खजूर के पत्ता जुहावे लागत हवै। काहे से बरसात मा खजूर के पत्ता ख़राब होइ जात हवै पत्ता सुखावे के जघा नहीं रहत आय। कपाड़िया समुदाय के मड़ई या काम ख़ुशी से नहीं बल्कि दुःख से करत हवै काहे से उनकर पुरान मड़ई यहै काम करे का कहत हवै। जिला चित्रकूट,ब्लाक मऊ,कस्बा बरगढ़ बरसात के महीना शुरू होतेन कपाडड़िया समुदाय के मड़ई खजूर के पत्ता जुहावे लागत हवै। काहे से बरसात मा खजूर के पत्ता ख़राब होइ जात हवै पत्ता सुखावे के जघा नहीं रहत आय। कपाड़िया समुदाय के मड़ई या काम ख़ुशी से नहीं बल्कि दुःख से करत हवै काहे से उनकर पुरान मड़ई यहै काम करे का कहत हवै। नत्थू प्रसाद बताइस कि सोलह साल के उमर से झाड़ू बनावै का काम सीखे हन।झाड़ू रोज बना के गांव-गांव बेंच देइत हन।खजूर के पत्ता काट के रख देइत हवै जबै सूख जात हवै परिवार के सब मड़ई झाड़ू बनावै खातिर 6-7 किलोमीटर जाए का पड़त हवै। हमरे लगे घर नहीं आय। झाड़ू बना के झोपड़ी मा रखे का पड़त हवै।हम मानिकपुर के रहे वाले आहीं धंधा करे खातिर हिंया रहित हन। विद्या देवी बताइस कि हमार जात मा यहै काम करै का कहत हवै दूसर धंधा करे का मना करत हवै। हम बहुतै गरीब हन तबहूं दूसर धंधा नहीं करे देत हवै या धंधा से खाना खर्चा बस चलत हवै हमार परिवार के लड़का शिवरामपुर चित्रकूट अउर शंकरगढ़ कमाए जात हवै।
रिपोर्टर- सुनीता देवी
Published on Jun 30, 2017