उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में 18 अगस्त को अचानक बाढ़ आने से अब तक अस्सी लोग मर चुके हैं और एक हज़ार से ज़्यादा गांवों पर बाढ़ का असर पड़ा है। कई जिलों में, खासकर बहराइच में, करोड़ों की खेती का भी नुकसान हुआ है।
उत्तर प्रदेश से लगे नेपाल देश में 15 से 16 अगस्त की रात को बादल फटने से भारी बरसात हुई। मजबूरन नेपाल को राप्ती और घाघरा नदियों में पानी छोड़ना पड़ा। इससे बहराइच, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोन्डा, बाराबंकी और फैज़ाबाद जिलों में नदी किनारे स्थित गांवों में बाढ़ आ गई।
गुस्साए लोग नहीं देंगे वोट
जिला बहराइच। नेपाल की सीमा से लगे होने के कारण बहराइच के गांवों पर बाढ़ का सबसे बुरा असर पड़ा है। लोग धीरे-धीरे अपने गांव तो लौट रहे हैं पर वहां गर्मी और उमस में मरे हुए जानवरों की सड़ती लाशों से बीमारियां फैलने की संभावना बढ़ गई है।
प्रशासन राहत कार्य में जुटा हुआ है। सरकार ने मरने वालों के परिवार को डेढ़ लाख मुआवज़ा देने की घोषणा की है। जिला प्रशासन ने जहां सौ करोड़ रुपए की राहत राशि मांगी है, वहीं सरकार ने उन्हें साढ़े तीन करोड़ रुपए ही अभी दिए हैं।
सरकार की बेपरवाही से गुस्साए लोगों ने 13 सितंबर को होने वाले उपचुनावों का बहिष्कार करने की ठान ली है।
फैज़ाबाद में आठ सौ घर बहे
जिला फैज़ाबाद, ब्लाक मया, काज़ीपुर माझा के प्रधान दुर्गावती ने बताया कि तैंतिस सौ बीघा फसल खराब होने की कगार पर है। लेखपाल शिवकुमार ने कहा कि सात सौ लोगांे का नाम लिखा गया है। पर जिसका पचास प्रतिशत नुकसान हुआ है, उन्हीं को मुआवज़ा मिलेगा।
यहां के दयानाथ चैहान ने बताया कि हर साल बाढ़ आती है पर मुआवज़ा नहीं मिलता है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पानी भरने से बच्चों का स्कूल भी बंद हो गया है। ए.एन.एम. सुशीला ने बताया कि 21 अगस्त को एस.डी.एम. ने मिट्टी का तेल बांटा था। बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ने कहा कि उनकी टीम मदद कर रही है।