उत्तर प्रदेश में इस बार जून के महीने में हुई बेमौसम बरसात ने पिपरमिन्ट का भारी नुकसान किया है। गावों में बरबादी का अंदाजा लगाने के लिए लेखपाल नहीं पहुंचे। प्रदेश के उद्यान विभाग के पास अभी तक बर्बाद हुई फसलों का कोई अकड़ा नहीं है।
पिपरमिन्ट से जुड़े अकड़ा –
1- पूरे देश में चार लाख पिपरमिन्ट किसान हैं ।
2- 1994 में देश में 50 हजार हेक्टेयर में पिपरमिन्ट की खेती होती थी। लेकिन आज दो लाख हेक्टेयर में खेती होती है। 75 प्रतिशत खेती उत्तर प्रदेश में होती है।
3- चीन, फ़्रांस, अमेरिका भारत से बड़ी मात्रा में पिपरमिन्ट खरीदते है।
4- बाराबंकी जिले में प्रदेश का सबसे ज्यादा पिपरमिन्ट होता है।
जिला लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव। गोनरा के किसान राम आसरे ने बताया दस बीघा फसल लगायी थी। सिंचाई, दवाई से लेकर मजदूरी तक नौ हजार से दस हजार का खर्च आया है। जबकि तेल केवल बारह लीटर निकला। उस पर भी गुणवत्ता अच्छी न होने से तेल आठ सौ पचास से नौ सौ रुपये प्रति लीटर बिका। जबकि इतनी ही खेती में हर बार बीस से बाइस लीटर तेल निकलता था।
ब्लाक गोसाईगंज, गांव कासिमपूर बिरुहा के किसान गनेशी प्रसाद ने बताया हमारे एक बीघा पिपरमिन्ट को बरसात बहा ले गई। यहीं के रूप नारायण ने बताया कि हमारे यहां तेल निकालने की टंकी लगी है। लेकिन जहां एक टंकी में पिपिरमिन्ट में दस किलो तेल निकलता था, वहीं इस बार तीन किलो ही निकला। बाराबंकी में गोदाम मालिक राजेश ने बताया कि पिपरमिन्ट की मंाग बढ़ने से पिछली बार दाम ज्यादा था। यही सोचकर कुछ नये किसानों ने भी पिपरमिन्ट लगाया। लेकिन अबकी बरसात की वजह से पिपरमिन्ट की फसल बरबाद तो हुई साथ में गुणवत्ता में कमी आने से बची फसल का दाम भी घटकर मिला।
जिला फैजाबाद ब्लाक तारुन अउर पूराबाजार तारुन ब्लाक के बूड़ापुर गांव कै रामनरायन बताइन कि दुई साल से पिपरमिन्ट लगावत हई। पिछली बार अच्छी फसल भै रही अउर दाम भी बढि़या मिला रहा। इहै सोचिक एक बिगहा ज्यादा लगायन तौ बारिस एक महीना पहिले आय गै।
लोटन लाल के पुरवा कै निर्मला बताइन कि बरसात के कारण ढ़ाई बिगहा कै फसल सड़ गै। इहै हाल कैथौली, बसन्ती के पुरवा अउर ओझाने कै बाय। ब्लाक पूराबाजार, गांव मलेथू कै जगदीश बताइन कि ज्यादा पानी भर जाय से फसल डूब गै जेसे दुइ बिगहा पिपरमिन्ट खराब होइगै।