जिला चित्रकूट, 18 जनवरी 2017। चंबल के डकैत के बारे में तो आपने सुना ही होगा। सब मानते हैं कि आज उनका कहर पहले जैसा नहीं रहा, पर खत्म अभी भी नहीं हुआ है।
ऐसा ही एक डकैत था, ददुआ। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से मध्यप्रदेश के जबलपुर तक ददूआ का आतंक 30 साल तक चला। 200 डकैती और 150 अपहरण और कत्ल करने वाले ददुआ की 2007 में पुलिस से मुड़भेड़ में मौत हो गई। पर किसी ने सही ही कहा हैं, “नाम हो या बदनाम हो, पर गुमनाम नहीं होना चाहिए।” ऐसा ही हुआ ददुआ के साथ उनके इस क्षेत्र में कहर का पूरा फायदा उनके भाई बाल कुमार पटेल और बेटे वीर सिंह को मिला है। दोनों समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं और वीर सिंह को आने वाले विधानसभा चुनाव में सपा से टिकट भी मिल गया है।
ददुआ का इस क्षेत्र में नाम लोकप्रिय या बदनाम होना कितना सही है और कैसे था ददुआ इस बात को जानते हैं, उनके ही भाई सपा के पूर्व संसद बाल कुमार पटेल से।
लम्बी कदकठी के बाल कुमार पटेल चित्रकूट के पटेल समुदाय का चर्चित चेहरा हैं। वह अपने भाई ददुआ के लिए कहते हैं, “भगवान ऐसा भाई सबको दें। उन्होंने बुराई और गरीबों की मदद के लिए अहिंसा का रास्सा लिया, जो बिल्कुल भी गलत नहीं था।”
वह अपने भाई के नाम मंदिर होने पर कहते हैं, “तमाम लोगों की मूर्तियां लगी हैं, पर कबराहा में ददुआ के मंदिर जैसा सम्मान किसी को नहीं मिला है।”
वह खुद के राजनीति में आने का श्रेय अपने भाई की गरीबों की मदद करने वाली सोच को बताते हैं। वह ददुआ को सामंतवादी सोच के खिलाफ लड़ने वाला सिपाही कहते हैं।
पर हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते हैं, इस क्षेत्र में कई ऐसे लोग हैं, जिनका घर ददुआ की मुखबिरी करने के कारण उजड़ा है। मानिकपुर के प्रधान जिमिदार की आंखे ददुआ ने चाकू से निकाल दी थी। वहीं अस्सी साल की गुजरतिया के पति और देवर को भी ददुआ ने बुरी तरह से मारा था। रामपाल त्रिपाठी के पिता और अदिति के पिता को भी ददुआ ने मारा था।
बाल कुमार पटेल अपने परिवार का नाम रोशन करने का पूरा श्रेय ददुआ को ही देते हैं। बाल कुमार फूलदेवी का उदाहरण देते हुए कहते हैं, “अन्याय के खिलाफ बंदूक उठाने वाला गलत नहीं होता है।” वह समाजवादी पार्टी को दबे और कुचले समुदाय का साथ देने वाला मानते हैं। समाजवादी पार्टी ने ददुआ को अपना पूरा सहयोग दिया, जिसका ही कारण हैं कि आज ददुआ के भाई और बेटा पार्टी में अच्छी स्थिति में हैं।
बाल कुमार राजनीति में मुकदमे लगने को आम-सी बात कहते हैं। उनके अनुसार सभी पार्टियों में बहुबली हैं। खैर बाल कुमार पर भी बहुत से मुकदमे हैं पर उनके अनुसार ये बात तो राजनीति में आम-सी है।
रिपोर्टर- मीरा देवी
12/01/2017 को प्रकाशित