जिला बांदा। राज्य के कुछ हिस्सों में यदि बाढ़ से फसलें तबाह हुई हैं तो दूसरे हिस्सों में मानसून में बारिश न होने से किसानों की चिंताए बढ़ती जा रही हैं।
इस समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मूंग, उरद, ज्वार और तिल की फसल के अलावा सबसे ज़्यादा नुकसान धान की खेती का हुआ है। 19 अगस्त को बबेरू के कई किसानों ने तहसील दिवस पर धरना दिया। पतवन गांव के छेदीलाल और निभौर गांव के मोहम्मद हनीफ ने बताया कि बारिश ना होने के बावजूद नहर में पानी भी नहीं छोड़ा जा रहा है। सिंचाई हो पाती तो धान की बेड बचाकर रोपाई की जा सकती थी। मिया बरौली के भुजबल ने पचास किलो धान की बेड दस हज़ार रुपए में खरीदी थी। पानी की कमी के कारण अब उनका लगभग पूरे दस हज़ार का नुकसान होगा क्योंकि धान के बेड नहीं लग पा रहे हैं।
बिसण्डा ब्लाक के विसण्डी गांव के मुन्ना के पांच सौ रुपए प्रति घण्टा जोताई और बोवाई में खर्च हो जाते हैं। इतने खर्च के बाद भी बीज तक पूरे नहीं लौटा पाएंगे।
बांदा के नहर विभाग के अधिशासी अभियंता के.पी. मौर्य ने बताया कि इस समय केन नदी में भी पानी का स्तर कम है। उनके अनुसार नहर में पानी छोड़ा जा रहा है पर कम पानी होने के कारण कुछ गांवों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों की मांग के कारण रात बारह बजे तक नहर चालू रहती है।