तबला के हिन्दुस्तानी संगीत मा खास जघा है। लकड़ी, चमड़ा अउर रस्सी से बनें वाला या तबला दक्षिण एशिया के देशन मा मशहूर है। बुंदेलखंड के बांदा जिला मा तिरालिस साल के रईस तबला बनावें का काम करत है। यहिसे तबला के शान बढ़त है।
रईस का कहब है कि मोर बाप ग्वालियर मा तबला बनावत रहै। देश के बंटवारा के समय मोर बाप के बड़े भाई बम्बई मा या काम सीखिन रहै। या हमार पुश्तैनी काम आय। हमार पूर परिवार तबला बनावें का काम करत रहै।चौदह साल के उमर मा आपन बाप से तबला बनावें का काम सीखे रहेहौं। मोर बाप नींक–नींक कलाकार साथै काम करत रहैं।तबला कसत बनावा जात है। यहिके बारे मा रईस बतावत है कि लकड़ी के खोल मा पूरा सिंगार कइके ग्राहकन का दीन जात है। जेहिमा बकरा के खाल अउर लेदर लगावा जात है। पंजाब से मोर तबला बाहर अमेरिका अउर इंग्लैड़ मा भी गें हैं। काहे से तबला मा बहुतै बारीख काम करत हौं।
सपना तौ बहुतै रहैं तौ पूर नहीं होइ पाए आहीं। 2006 मा पंजाब मा आपन नाम करै के बाद वापस अपने जिला लउट आये हौं अउर आपन रईस तबला मेकर दुकान मा तबला बनावत हौं। मड़ई हमें हमार नाम से जानत हैं।
रिपोर्टर-मीरा देवी
Published on Dec 4, 2017