जिला बांदा, बड़ोखर बुजुर्ग का रहैं वाला महेश्वरी दीन प्रसाद अपने अउर अपने परिवार वालेन के बीमारी से परेशान होइके 29 जून का डी.एम. से इच्छा मृत्यु के मांग करैं का मजबूर होइगा।
काहे से कि अब वहिके परिवार मा कउनौ कमाये वाला निहाय। घर अउर उनके इलाज खातिर रुपिया नहीं आय दूसर बात सरकारी अस्पताल मा नींकतान से इलाज भी नहीं कीन जात है।
लड़का प्रेमचंद्र का कहब है कि हम तीन भाई हन। हम दुइ भाई के शादी होइ चुकी है। बड़े भाई का कैंसर अउर मोहिका दमा के बीमारी अउर तीसर भाई विकलांग है। महतारी ललिता टी.बी. के बीमार, गुर्दा मा पानी भरै अउर दमा के बीमारी से परेशान रहत है। बाप महेश्वरी दीन यादव का दमा अउर बहरापन के समस्या बनी है। घर मा दुई औरते हैं उंई सात बच्चन के देखभाल करत हैं। कमाये वाला कउनौ निहाय यहिसे परिवार वालेन का पेट भरैं मा समस्या का सामना करैं का परत है। हम लोग कइयौ दरकी सरकारी अस्पताल मा इलाज करायेन, पै हुंवा नींकतान से इलाज नहीं होत अउर न तौ डाक्टर गंभीरता से इलाज करत हैं । प्राइवेट अस्पताल मा भी इलाज करावा गा, पै अब इलाज खातिर रुपिया नहीं आय। यहिसे लागत है कि इनतान रोज रोज घुट घुट मरैं से तौ नींक है कि एक दिन मर जाये तौ सही रहै।
महेश्वरी प्रसाद के महतारी कलावती कहिस कि मोरे गुर्दा मा पानी भरै के बीमारी होइगे रहै तो मोर लड़का महेश्वरी दीन यादव बहुतै रुपिया खर्चा कइके मोर इलाज करवाइस रहै, पै अब वा खुदे हम सबहिन का इलाज करावत करावत परेशान है।
बांदा के रफ़ीक नर्सिंग होम के डाक्टर मोहम्मद रफ़ीक का कहब है कि मैं खुद या समस्या का पैतिस साल से देखत हौं कि सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य सेवा बदहाल स्थिति से गुजरत है। जिला मा कत्तौ कैंसर का इलाज नींक से करै वाला डाक्टर अउर सिटी स्कैन के कउनौ व्यवस्था निहाय। पांच प्राइवेट नर्सिंग होम हैं। उनमा मरीज आपन इलाज करवात हैं। काहे से कि सरकारी अस्पताल तौ खुदै बीमार हैं। मरीज कहां जइहै।
काहे से कि अब वहिके परिवार मा कउनौ कमाये वाला निहाय। घर अउर उनके इलाज खातिर रुपिया नहीं आय दूसर बात सरकारी अस्पताल मा नींकतान से इलाज भी नहीं कीन जात है।
लड़का प्रेमचंद्र का कहब है कि हम तीन भाई हन। हम दुइ भाई के शादी होइ चुकी है। बड़े भाई का कैंसर अउर मोहिका दमा के बीमारी अउर तीसर भाई विकलांग है। महतारी ललिता टी.बी. के बीमार, गुर्दा मा पानी भरै अउर दमा के बीमारी से परेशान रहत है। बाप महेश्वरी दीन यादव का दमा अउर बहरापन के समस्या बनी है। घर मा दुई औरते हैं उंई सात बच्चन के देखभाल करत हैं। कमाये वाला कउनौ निहाय यहिसे परिवार वालेन का पेट भरैं मा समस्या का सामना करैं का परत है। हम लोग कइयौ दरकी सरकारी अस्पताल मा इलाज करायेन, पै हुंवा नींकतान से इलाज नहीं होत अउर न तौ डाक्टर गंभीरता से इलाज करत हैं । प्राइवेट अस्पताल मा भी इलाज करावा गा, पै अब इलाज खातिर रुपिया नहीं आय। यहिसे लागत है कि इनतान रोज रोज घुट घुट मरैं से तौ नींक है कि एक दिन मर जाये तौ सही रहै।
महेश्वरी प्रसाद के महतारी कलावती कहिस कि मोरे गुर्दा मा पानी भरै के बीमारी होइगे रहै तो मोर लड़का महेश्वरी दीन यादव बहुतै रुपिया खर्चा कइके मोर इलाज करवाइस रहै, पै अब वा खुदे हम सबहिन का इलाज करावत करावत परेशान है।
बांदा के रफ़ीक नर्सिंग होम के डाक्टर मोहम्मद रफ़ीक का कहब है कि मैं खुद या समस्या का पैतिस साल से देखत हौं कि सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य सेवा बदहाल स्थिति से गुजरत है। जिला मा कत्तौ कैंसर का इलाज नींक से करै वाला डाक्टर अउर सिटी स्कैन के कउनौ व्यवस्था निहाय। पांच प्राइवेट नर्सिंग होम हैं। उनमा मरीज आपन इलाज करवात हैं। काहे से कि सरकारी अस्पताल तौ खुदै बीमार हैं। मरीज कहां जइहै।
05/07/2016 को प्रकाशित
डी एम से मांगने आए मौत की इजाज़त
न पैसे और न ही इलाज की कोई सुविधा
बांदा के बड़ोखर बुज़ुर्ग के एक परिवार ने प्रशासन से मांगी इच्छा मृत्यु