जिला बाँदा, 12 अक्टूबार। अगर बाँदा में घूमने जाना हो तो दशहरे के समय ज़रूर जाएँ। यहाँ दशहरा एक दिन नहीं, पांच दिन मनाया जाता है।
रामायण में राम ने रावण को तो एक ही दिन मार दिया था पर बांदा में रावण को पांच दिन तक जलाने की प्रथा बहुत पुरानी है, जिसकी एक निर्धरित तारीख किसी को भी नहीं पता। ऐसे माहौल में जहां सांप्रदायिक तनाव के मामले सामने आ रहे हैं और विधान सभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गयी है, ये पांच दिन का त्यौहार ख़ुशी, मिलन और भाईचारे का ऐलान करता है।
बाँदा के रामलीला अध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता बताते हैं – “यहां दशहरे का मतलब सामाजिक समरसता, उत्थान और प्रेम भाव को बढ़ाना है। एक दिन में लोग एक-दूसरे को दशहरे की बधाई नहीं दे पाते हैं इसलिए पांच दिन तक दशहरा चलता है।”
आपको बता दें कि बांदा के शहरी क्षेत्र में ही ये पांच दिन तक का दशहरा मनाया जाता है।पहले यहां चार दिन तक दशहरा बनाने का चलन था। पर पिछले दो-तीन साल से ये पांच दिन का होने लगा। बांदा के रहने वाले लालाजी इस दशहरे के बारे में बताते हैं – “हर मोहल्ले का अपना रावण एक-एक दिन करके जलता है । ऐसा करने के पीछे वजह खुद को पांच दिन खुश रखना है और हम लोग पांच दिन खुश रहते भी हैं।“यहाँ के पाँच मोहल्ले प्रयागी तालाब, अलीगंज, छाबी तालाब, जहीर क्लब और काशीराम में अलग-अलग रावण जलाये जाते हैं। पर ये पाँचों रावण एक ही दिन नहीं जलते हैं बल्कि एक- एक करके जलते हैं। बांदा के दशहरे में लोग पांच दिन तक ख़ास पकवान बनाते हैं, जिसके बाद लोग एक-दूसरे के घर दशहरे की शुभकामना देने आते हैं। लोग दशहरे के दिनों में आपसी मतभेद को भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलकर फिर से दोस्ती की शुरूआत करते हैं। बांदा के दशहरे को हिन्दू मुसलमान के साथ सभी धर्म के लोग मानते हैं। इस बार के दशहरे में चुनावी रंग भी देखने लायक थे। लोगों ने आतंकवाद और पाकिस्तान के पुतलों को जलने के साथ मोदी के पुतले की पुजा की। सभी पार्टियों ने खुद के प्रचार की हर संभव कोशिश की।
55 साल के बांदा के निवासी रणजीत कुमार गुप्ता बताते हैं – “पहले बांदा में 4 दिन दशहरा मनाया जाता था पर अब एक दिन और बढ़ा दिया है । ये क्षेत्र के बढ़ने के कारण हुआ है।” दशहरे को वहां लोग अपने अन्दर के रावण और समाज के रावण को खत्म करने की एक खुशी मनाते हैं। रणजीत कुमार गुप्ता आगे बताते हैं- “अगर मैं आपके घर दशहरे के दिन आता हूं तो आपको भी मेरे घर दशहरे में आना ही पड़ेगा।”
दशमी के बाद चार दिन तक दशहरा चलता है, और आखिरी दिन रामलीला के साथी कलाकार एक जगह पर जमा होकर दशहरे का समापन करते हैं। तो आप भी बांदा के इस पांच दिन जलने वाले रावण और दशहरे को देखने अगले साल जरूर जाएं और यहां की रौनक को खुद से महसूस करें।
रिपोर्टर- गीता
12/10/2016 को प्रकाशित