जिला बांदा, गांव परशुराम तालाब, 6 दिसम्बर 2016। बुंदेलखंड में दलितों और पिछड़ी जाति पर अत्यचार पीड़ी दर पीड़ी चलते आ रहे हैं, यहां तक की प्रशासन भी इन लोगों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देता है। परशुराम तालाब की निवासी कमला, 47, पत्नी भावानीदीन की 15 वर्षीय बेटी का अपहरण 27 मार्च 2016 को हुआ था। पर उनकी बेटी की गुमशुदी की शिकायत कहीं नहीं लिखी गई, जिसके बाद हारकर 25 नवम्बर 2016 को अपहरण की एफआईआर लिखी गई। इससे पहले 19 मई 2015 को कमला की बेटी के साथ तीन लोगों- कमलेश, बद्री गुप्ता और राजू राजपूत- ने सामूहिक बलात्कार किया था, जिसके बाद कमलेश को 3 मार्च और राजू को 5 अप्रैल 2016 को कोर्ट में हाजिर किया गया और अब वे जेल में है, जबकि बद्रीनाथ आज भी फरार है। कमला के परिवार को बद्री, राजू और कमलेश के परिवार से हर रोज गाली और जान से मार देने की धमकी दी जाती है।
कमला अपहरण के बारे में बताती हैं, “25 मार्च को हमारे घर में अज्ञात आदमी आए थे, जो मेरी बेटी से अपने भतीजे की शादी करना चाहते थे। पर हमनें उन्हें टाल दिया। इसके बाद 27 मार्च 2016 को मेरी बेटी का अपहरण हो गया।” कमला को शक हैं कि अपहरण का संबंध बलात्कार के मामले से भी हो सकता है।
वह बताती हैं, “जिस दिन अपहरण हुआ। उस दिन कमला और उनके पति सो रहे थे। जब उठे तो उनकी बेटी घर से गायब थी।”
9 महीने बाद बेटी के अपहरण की एफआईआर लिखने पर कमला रुआंसी आवाज में कहती हैं, “अगर हमारा भी कोई होता तो ये परेशानी नहीं होती पर मेरे घर में मैं और मेरे बीमार पति हैं।” उन्होंने अपहरण की शिकायत दर्ज करने के लिए पुलिस कमिश्नर, उपमहानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक और नगर कोतवाली और पुलिस चौकी में कई बार चक्कर कटे हैं, जिसके बाद अब उनकी एफआईआर लिखी गई है।
रिपोर्टर- मीरा देवी