जिला बांदा, ब्लाक महुआ, गांव रिसौरा, 6 जनवरी 2017। रिसौरा गांव से ट्रैक्टर भर के किसानों ने 24 दिसंबर को नरैनी तहसील में लेखपालों के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों का आरोप हैं, उन्हें उनकी फसल के लिए सूखा राहत का मुआवजा नहीं मिला है, जिसका कारण लेखपाल का गलत सर्वे है। किसानों ने 15 दिनों में मुआवजा नहीं मिलने पर आंदोलन करने की चुनौती दी है। वहीं पूर्व लेखपाल भइयालाल का कहना हैं, “मैंने 80 प्रतिशत सर्वे किया था। पर मैंने लिस्ट नहीं बनाई क्योंकि मेरा वहां से निलबंन हो गया था।” वहीं तहसीलदार राजेश कुमार कहते हैं, “नयाब तहसीलदार फिर से गांव में सर्वे के लिए गए हैं और सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद जल्द ही पैसा दे दिया जाएगा।”
रिसौरा गांव में सूखा राहत मुआवजा 100 प्रतिशत किसानों को मिलना था। पर मुआवजा 36 प्रतिशत को ही मिला है। किसान दोबारा से अपने खेतों की जांच करना चाहते हैं, जिससे उन्हें जल्द ही मुआवज मिल जाए।
रिसौरा के किसान बलदेव कहते हैं, मेरे पास 15 बीघ जमीन हैं, जो सिंचाई के लिए पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहती है। ऐसी स्थिति में मुझे मुआवजा नहीं मिल रहा है।
शिव प्रसाद कहते हैं, “पूर्व लेखपाल भइयालाल ने सर्वे के लिए अधूरी जांच की, जिसके बाद वह निलंबित हो गया। फिर नया लेखपाल सुनील कुमार ने अधूरी जांच पर बनी लिस्ट के हिसाब से मुआवजा दे रहा हैं। हम लोग दुबारा जांच की मांग कर रहे हैं।”
मुआवजा नहीं मिलने से किसान परेशान हैं, वे घर खर्च के लिए मनरेगा में मजदूरी करके पैसा कमा रहे हैं। मनोज कुमार तिवारी कहते हैं, “गांव में किसानों को समान माप के खेत के लिए अलग-अलग मुआवजा दिया जा रहा हैं। पूर्व लेखपाल कभी जांच के लिए गांव में नहीं आया, वह पैसे खाकर किसानों को मुआवजा दे रहा है।”
इस समस्या पर तहसीलदार राजेश कुमार कहते हैं, “नयाब तहसीलदार गांव में सर्वे के लिए गए हैं और सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद सभी किसानों को जल्द ही पैसा मिल जाएगा।”
रिपोर्टर – गीता
03/01/2017 को प्रकाशित