जिला बांदा कस्बा बांदा लगभग 50 साल से हेंया के कुछ मड़ई पत्थर का काम करत है। जेहिमा उंइ सिलौटी चकरी और नक्कासी का काम करत हैं। पत्थर का काम करै वाले मड़ईन के लगे आपन खुद के खातिर घर तक नहीं आये।
पत्थर का सामान बनावै वाले बब्लू का कहब है कि सरकार कहत से हमार बच्चा के प्रशिक्षण मिलत तो उंइ नक्कासी का काम अउर नीकतान कइ सकत रहैं। हम सिलौटी और चकरी बनावत रहैं हमार लड़का नक्कासी का काम सीखिन हैं।
पहिले छोट छोट रहै तौ पढ़त रहै अब काम करत हैस। पत्थर का काम कर से आंखी ख़राब होए जात है। पचास साल के बाद या काम नहीं कर सकत हैं।
लड़का वीरेंद्र कुमार का कहब हवै कि हमें आपन काम का पूरा रुपिया नहीं मिलत आये कउनौ बहुतै इमानदार होई तो पूरा रुपिया देत है। पच्चीस सौ के जघा पांच सौ पकड़ा देत है।
नक्कासी का काम बहुतै सावधानी से करे काम पड़त है। काहे से जघा ख़राब होये से पूर पत्थर ख़राब होए जात है, अउर हमार मेहनत बर्बाद होई जात है।
नक्कासी करै के बाद गोल्ड कलर के पेटिंग करै से नक्कासी मा चमक आवत हैं। जेहिसे देखे मा नीक लागत है। नक्कासी खातिर हम सतना से पत्थर लाइत हन।
रिपोर्टर- गीता और मीरा देवी