जिला बांदा, ब्लाक नरैनी प्राथमिक अउर पूर्व माध्यमिक स्कूल मा पढ़ै वाले बच्चन का सरकार कइती से सेंत मा मिलै वाली किताब नहीं मिली आय। या कारन से बच्चन के पढ़ाई नहीं होइ पावत है।
प्राथमिक स्कूल के पढ़ै वाले बच्चा पवन कुमार का कहब है कि किताब नहीं मिलत हैं। मोरे महतारी बाप के लगे यतना रुपिया निहाय कि अपने से किताब खरीद के पढ़ सकौ। अगर रुपिया होत तौ काहे का सरकारी स्कूल मा पढ़तेंव है।
माधुरी कहिस कि या साल बस विज्ञान के किताब स्कूल से मास्टर दिहिन हैं अउर कउनौ विषय के किताब नहीं दीन गे है। जबै कि स्कूल का खुले चार महीना होय वाला है। अगर यहिनतान रहि तौ हमार पढ़ाई कसत होइ।
लवकुश का कहब है कि मैं कक्षा पांच मा पढ़त हौं। मोर पढ़ाई या साल के बरबाद होत देखाई देत है। पता निहाय के सरकार काहे किताबे नहीं देत आय। पहिले तौ पिछले साल सरकार कइती से किताबे मिली रहैं। अब काहे इनतान कीन जात है।
मनोज का कहब है कि गणित, अंग्रेजी अउर संस्कृत के किताब बस मिली है। बाकी अउर विषय के किताब कबै मिली। यहिकर पता नहीं लागत आय। का सरकार पहिले सेंत मा किताबे दइके नाम कमा लिहिस है। यहिसे या साल किताबे नहीं दीन जात हैं। यहिनतान सुमन कहिस कि या सोंच के सरकारी स्कूल मा पढ़त हौं कि हेंया सेंत मा सरकार के तरफ़ से किताब दीन जात हैं। यहिसे मैं पढ़ लिख लेहौं। काहे से कि मोर महतारी बाप के लगे यतना रुपिया निहाय कि उंई मोहिका आपन कमाई से पढ़ा सकैं। सरकार किताब ना देइ तौ मोहिका घर मा बइठे का पर सकत है। नीतू के महतारी कहिस कि अगर किताब ना मिली तौ अपने लड़की का स्कूल ना भेजिहौं। स्कूल के हेडमास्टर सविता सिंह कहिन कि सरकार कइती से आदेश आवा रहै कि या साल पिछले साल के किताब बच्चन का बांटी जइहैं। यहिसे जउन किताब रही हैं। वा बांट दीन गें हैं। नरैनी बी.आर.सी. विभाग के सह समन्वयक मोहम्मद जाफ़र अली कहिन कि पुरान किताबें बच्चन से लइके दइ दीन गें हैं। अगर कउनौ बच्चन का किताबे नहीं मिली आय अगर सरकार कइती से अइहैं तौ मिल सकत हैं।
रिपोर्टर- किवता और गीता