जिला बांदा, शहर बांदा हेंया खाद्य विपणन गोदाम है। गोदाम के सउहें पानी बरसै के कारन कांदौ भरा राहत है। यहिसे कोटेदारन का ट्रैक्टर मा गल्ला लावै मा समस्या होत है। काहे से कि गल्ला गिर जात है तौ मा ख़राब होई जात है। दूसर बात ट्रैक्टर पलटै का खतरा भी बना है,पै खाद्य विपणन विभाग का या समस्या से कउनौ मतलब निहाय।
खाद्य विपणन गोदाम के लगे रहै वाली लक्ष्मी नाम के औरत का कहब है कि पानी बरसत है तौ हर साल बरसात मा यहिनतान रास्ता मा पानी भर जात है। कांदौ भरा होय के कारन आवै जाये मा समस्या से गुजरै का परत है। अगर या रास्ता बन जाये तौ हमार समस्या खतम होई सकत है।
कुछ कोटेदारन का कहब है कि गल्ला ले जइत हन तौ बहुतै परेशानी झेलै का परत है। ट्रैक्टर लइके जइत हन तौ ट्रैक्टर के पहिया कांदौ मा घुस जात हैं। या कारन से ट्रैक्टर पलटै का खतरा है। ट्रैक्टर का पहिया कांदौ मा गपै के कारन ऊपर नीचे होत है। यहिसे हमार कुंतलन गल्ला गिर जात है। या कारन से हमार लाखन रुपिया का नु्कसान होई जात है। खाद्य विपणन सहायक अधिकारी उदित नारायण सिंह का कहब है कि हम लोग खुदै परेशान हन। सरकार कइती से बजट अई तौ रास्ता बन सकत है।
खाद्य विपणन विभाग अधिकारी उदित नारायण सिंह का कहब है कि पानी बरसत है। यहिसे पानी भर जात है। नहीं तौ रास्ता सही आय। रास्ता बनवावै खातिर सरकार के लगे लिखित भेज दीन गे है। बजट पास होई तौ रास्ता बनवाई जा सकत है।
खाद्य विपणन गोदाम के लगे रहै वाली लक्ष्मी नाम के औरत का कहब है कि पानी बरसत है तौ हर साल बरसात मा यहिनतान रास्ता मा पानी भर जात है। कांदौ भरा होय के कारन आवै जाये मा समस्या से गुजरै का परत है। अगर या रास्ता बन जाये तौ हमार समस्या खतम होई सकत है।
कुछ कोटेदारन का कहब है कि गल्ला ले जइत हन तौ बहुतै परेशानी झेलै का परत है। ट्रैक्टर लइके जइत हन तौ ट्रैक्टर के पहिया कांदौ मा घुस जात हैं। या कारन से ट्रैक्टर पलटै का खतरा है। ट्रैक्टर का पहिया कांदौ मा गपै के कारन ऊपर नीचे होत है। यहिसे हमार कुंतलन गल्ला गिर जात है। या कारन से हमार लाखन रुपिया का नु्कसान होई जात है। खाद्य विपणन सहायक अधिकारी उदित नारायण सिंह का कहब है कि हम लोग खुदै परेशान हन। सरकार कइती से बजट अई तौ रास्ता बन सकत है।
खाद्य विपणन विभाग अधिकारी उदित नारायण सिंह का कहब है कि पानी बरसत है। यहिसे पानी भर जात है। नहीं तौ रास्ता सही आय। रास्ता बनवावै खातिर सरकार के लगे लिखित भेज दीन गे है। बजट पास होई तौ रास्ता बनवाई जा सकत है।
रिपोर्टर- मीरा देवी
04/08/2016 को प्रकाशित
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कोटेदार कैसे ले जाएँ राशन?