जिला बांदा, शहर बांदा हेंया के कताई मील 1998 से बंद परी हैं यहिसे पन्दह सौ मजदूरन का रोजगार भी मील के साथे बंद परा है।
मुन्नी लाल साहू का कहब हवै कि कताई मील ढाई सौ बिगहा जमीन मा बनी है। हेंया धागा बनावै का काम चलत रहैं। वहिमा मोर जमीन भी लई लीन गे है वा जमीन के आज अगर कीमत देखौ तौ बीस लाख रूिपया का एक बिघहा है। अच्छी पैदावार जमीन मा होत रहैं पूर परिवार चल्रत रहैं।
मजदूर मोर्चा का अध्यक्ष राम प्रवेश यादव बताइस कि पूर मील एसी के रहैं। हेंया बिहार अउर उतर प्रदेश के मजदूर मजूरी करत रहे पै 3 दिसम्बर 1998 मा कताई मील बंद कइ दीन गे है या से पन्दह सौ मजदूर का पेट मारा गा है। सरकार कइयौ लोग के जमीन भी लई लिहिस रहै मुआवजा तौ दीन गे पै अउर पइसा बाद मा दे का कहिन रहैं पै दीन नहीं गा आय।
बांदा के मवई बुजुर्ग गांवके अठरह लोगन के जमीन मील खातिर लीन गे रहै। मुआवजा के साथै नौकरी दे के बात भी करिन रहैं, पै कुछौ नहीं भा आय।
विडी बताइस या मील से हम सब का पेट चलत रहे मैं 1984 मा हेंया काम करै मा लाग रहेंव। पै 1998 से बंद होय के बाद काम करै खातिर भटकित हन। या मील 1980 मा उतर प्रदेश के मुखमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह बनवाइन रहैं। मील बनवांवे मा अठारह करोड़ रुपिया लाग रहै। पै बंद होये से रुपिया तौ पानी मा चला गा साथै हमार लोग का पेट रोटी मारीगे।
रिपोर्टर- गीता और मीरा देवी
बाँदा की कताई मिल 1998 से बंद पड़ी है
हज़ारों मजदूरों का रोज़गार और उम्मीदें मिल के साथ ख़त्म हो गई हैं