खबर लहरिया बुंदेलखंड बस नाम का ही मनरेगा है क्या? देखिये ललितपुर जिले करौदा गाँव की कहानी

बस नाम का ही मनरेगा है क्या? देखिये ललितपुर जिले करौदा गाँव की कहानी

जिला ललितपुर, ब्लाक महरौनी, गांव करौदा। मनरेगा योजना को लागू हुए तेरह  साल हो चुके हैं, पर मनरेगा होने के बावजूद अभी भी मजदूर काम से खाली हाथ लौट रहे हैं।करौदा गांव के लोगों को पांच साल से मनरेगा का पैसा नहीं मिला हैं। काम करने के बाद भी लोग एक-एक पैसे के लिए तरस रहे हैं। प्रशासन लोगों को पैसे देने की जगह उनको गोल-गोल घुमा रहा है।
हरिबाई ने बताया कि हमारे परिवार से आठ-दस लोगों ने मनरेगा में काम किया था और लोगों के पैसे निकल आये है पर हमारे पैसे नहीं निकले है। डेढ़ महीनें  काम किया था।
कौशिल्या ने कहा कि सभी ने अठारह-अठारह दिन काम किया था। पांच साल से पैसे नहीं मिले हैं।
बेलारानी ने बताया कि लगभग पचास लोगों ने मनरेगा में खंती का काम किया था।
धनुषरानी का कहना है कि हमने डेढ़ महीना काम किया था। अभी तक एक रूपये भी नहीं मिले हैं। प्रधान ने कहा है कि तुम्हारे खाते में पैसा ड़ाल देगें। बीसन बार प्रधान के पास गये हैं भगा देता है।
अभय कुमार ने बताया कि हमने काम किया है तो पैसे नहीं डालें है और दूसरों के पैसे डाले है। हम लोग रो रहे है हम अनपढ़ है तो क्या कार्यवाही करेगें। बत्तीस खंती का सत्रह दिन काम किया है। एक भी पैसा नहीं मिला है।
प्रधान गुलाबरानी का कहना है कि लोगों का आवास की सूची में नाम नही है, इसलिये आरोप लगा रहे है कि मनरेगा का पैसा नहीं मिला हैं।
बी.डी.ओ.अजय कुमार शर्मा ने बताया कि बैठक करके निर्देश दिया है कि मनरेगा का पैसा लोगों को समय से दिया जाएं।

रिपोर्टर- सुषमा देवी

 Published on Feb 12, 2018