बलखडि़या के मरैं वाली बात लोगन का हजम नहीं होत आय। काहे से मरैं के अफवाह फइला के पुलिस का चकमा दें के रणनीति बलखडि़या गैंग के होई पूरे क्षेत्र के जनता, राजनीतिक पार्टी अउर पुलिस प्रशासन बलखडि़या के मरैं के खबर के पीछे छिपे रणनीति के अंदाजा लगावत हैं। या रणनीति के सच्चाई तौ बलखडि़या गैंग के अन्दर भी कुछ ही लोगन का पता होई। अपने आप मा सोचैं वाली बात है कि पुलिस के पास यतने पुख्ता सुबूत निहाय कि जेहिसे कहा जा सकै कि बलखडि़या मारा गा। लोगन का मानब है कि ददुआ, ठोकिया, घनश्याम जइसे अउर बदमाशन के मरैं मा पुलिस उनकर चेहरा लोगन के बीच लाइस है। जेहिसे लोग पुलिस के बात मा भरोसा कई सकै। पै या बदमाश के मारे जाय के बात मा कसत भरोसा करै। जब पुलिस लगातार मुठभेड़ करैं मा लाग रहै तौ लास कसत नहीं पा सकी आय। अब प्रधानी का चुनाव भी होय वाले हैं।
राजनीतिक पार्टी यहिका राजनीतिक मुद्दा बनावैं चाहत होइहैं। जहां लोग कहत हैं कि या मामला का प्रधानी के चुनाव का मुद्दा बनावा जा सकत है। अब का या मान लीन जाय कि बलखडि़या गैंग खतम होइगा? काहे से अगर बलखडि़या मर ही गा तौ वा गैंग के कमान तौ कउनौ संभलबै करी? का गैंग का सफाया करब पुलिस के खातिर चुनौती बना है? बलखडि़या मरा होय या जिंदा पुलिस आपन काम तौ जारी ही राखी तबै ही वहिका अपने काम मा कामयाबी मिली।