दुनिया में सबसे ज्यादा भूखे लोग भारत में हैं। कुपोषित मांओं और बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा हमारे देश में ही है। यही कुपोषण आगे चलकर भुखमरी बनता है। एसे पिछले महीने आई संयुक्त राष्ट्रों की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है। मगर यह आंकड़े भी हमारे देश की लापरवाही खत्म करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत मिली एक जानकारी के अनुसार पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा अनाज बर्बाद हुआ है। इसका कारण है गोदामों की कमी और अनाज के रखरखाव में लापरवाही। मगर भारतीय खाद्य निगम के डायरेक्टर इस मुद्दे में बोलना ही नहीं चाहते। उपभोक्ताओं के हितों में काम करने वाले आर.देसीकन ने बताया कि यह स्थिति बेहद खतरनाक है। सबसे बड़ी बात है कि भारत में इस बर्बाद होने वाले अनाज की जिम्मेदार संस्था या व्यक्ति को सज़्ाा देने का कानून स्पष्ट ही नहीं है। जबकि इस तरह की लापरवाही का सीधा संबंध उपभोक्ता के अधिकारों से हैं।
खाद्य निगम के दूसरे अधिकारियों ने मुंह खोला भी तो कह दिया कि गोदामों की संख्या कम है। हमसे जितना बन पड़ता है उतना करते हैं। लेकिन असली बात तो यह है कि अनाज बर्बाद हो रहा है और लोग भूखों मर रहे हैं। इस मामले में बुंदेलखंड की एक संस्था से सरकार और हम सबक ले सकते हैं। बुंदेलखंड के महोबा जि़्ाले में में हाल ही में एक रोटी बैंक खोला गया है। इस बैंक को समाज सेवी संस्था ने खोला है। संस्था के कर्मचारी घर घर जाकर बचा हुआ खाना इकट्ठा कर उसे कोल्डस्टोरेज में रखकर भूखे लोगों को देते हैं। मगर यहां तो सरकार को भूखे नागरिकों की चिंता परेशान ही नहीं करती। अनाज इकट्ठा करने के लिए गोदाम ही नहीं हैं। जो हैं वहां अनाज लापरवाही का शिकार है। तो क्या भूखों की चिंता सरकार को नहीं सताती?