जिला झांसी बरसात के मौसम में झांसी में महुआ के पेड़ से गिरती। गुली इने बच्चा और महिलाये बीनती जे गुली दस से पन्द्रह रुपजा किलो बिकती और इनसे दबाई और तेल बनत।
इते कि रैबे बाली आशीष रौशनी जय कुमारी ने बताई के हम जे गुली पैले बीनत है फिर इने सुखा के छिलत फिर इनके बीच की गुठली को पत्थर से फोर के फिर बैचते है इनसे तेल बनत और दबाई जो तेल भी बिकत और । जिने हम अपने हारे बीनबे जात। जे निबोई केबल अषाढ़ के महिना में गिरती बा के बाद महुआ लगत बिने बीनत। और जीने बेचबे के लाने खैलारे जात और बबीना जात।
शांति राय ने बताई के हमपन्द्रह रुपजा किलो लेत और 18 रुपजा किलो बैचत हम।
तब हमे तीन रुपजा मिल जात। केवल एक महिना को धंधो है जो । हम इने ले जाके मंड्डीमें बैचतबरसात के मौसम में झांसी में महुआ के पेड़ से गिरती। गुली इने बच्चा और महिलाये बीनती जे गुली दस से पन्द्रह रुपजा किलो बिकती और इनसे दबाई और तेल बनत। तबहमे तीन रुपजा मिल जात। केबल एक महिना को धंधो है जो । हम इने ले जाके मंड्डीमें बैचत है ।
इते कि रैबे बाली आशीष रौशनी जय कुमारी ने बताई के हम जे गुली पैले बीनत है फिर इने सुखा के छिलत फिर इनके बीच की गुठली को पत्थर से फोर के फिर बैचते है इनसे तेल बनत और दबाई जो तेल भी बिकत और । जिने हम अपने हारे बीनबे जात। जे निबोई केबल अषाढ़ के महिना में गिरती बा के बाद महुआ लगत बिने बीनत। और जीने बेचबे के लाने खैलारे जात और बबीना जात।
शांति राय ने बताई के हमपन्द्रह रुपजा किलो लेत और 18 रुपजा किलो बैचत हम।
तब हमे तीन रुपजा मिल जात। केवल एक महिना को धंधो है जो । हम इने ले जाके मंड्डीमें बैचतबरसात के मौसम में झांसी में महुआ के पेड़ से गिरती। गुली इने बच्चा और महिलाये बीनती जे गुली दस से पन्द्रह रुपजा किलो बिकती और इनसे दबाई और तेल बनत। तबहमे तीन रुपजा मिल जात। केबल एक महिना को धंधो है जो । हम इने ले जाके मंड्डीमें बैचत है ।
22/07/2016 को प्रकाशित
बरसात के मौसम में झांसी में महुआ के पेड़ से गिरती है गूली
दस से पंद्रह रूपये किलो में बिकती है ये और इससे बनती है दवा