उत्तर भारत। उत्तर भारत के उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में चार दिन मूसलाधार बारिश ने सामान्य जीवन तहस नहस कर दिया। 14 जून से हो रही बारिश और हिमालय पहाड़ों की पिघलती बर्फ के कारण गंगा की उपनदी मंदाकिनी का जल स्तर रातों रात बढ़ा। सरकारी आकड़ों के अनुसार अब तक पांच़ सौ से ज़्यादा लोग मर चुके हैं और लगभग सत्तर हज़ार लोग अलग अलग स्थानों में फंसे हुए हैं।
उत्तराखंड में बहुत से धार्मिक स्थल हैं जहां इस समय लाखों लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे। बारिष से ये सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं । सरकार ने राष्ट्रीय सेना, बार्डर सुरक्षा बल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को लोगों के बचाव में जोड़ लिया है। उत्तराखंड के मशहूर केदारनाथ मंदिर को भी नुकसान हुआ है। केदारनाथ के पास गौरीकुंड में मंदाकिनी नदी में चालीस होटल बह गए। राज्य में कई गांवों के लोग अपने घर खाली करने को मजबूर हो गए। ऐसा मानना है कि सरकार की ओर से राज्य में भारी वर्षा की चेतावनी का प्रचार ठीक से नहीं किया गया था जिसके कारण लोग अचानक ऐसी स्थिति में पड़ गए। इस पहाड़ी इलाके में कई पुल और सड़कें बारिश से नष्ट हो गई हैं, जिसके कारण पर्यटकों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। सरकार के अनुसार इनको दोबारा चालू करने में लगभग तीन साल लगेंगे। वहीं 21 जून को देश की राजधानी नई दिल्ली में पांच हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया जब यमुना नदी खतरे के स्तर के दो मीटर ऊपर बहने लगी।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड का हवाई दौरा किया और राज्य के लिए एक हज़ार करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। कई और राज्य – उत्तर प्रदेश, हरयाणा और महाराष्ट्र ने भी मदद देने का ऐलान किया है।
प्राकृतिक आपदा पर रिपोर्ट
भारत में सबसे ज़्यादा प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग बेघर होते हैं। हाल ही में निकली एक विश्व रिपोर्ट बाढ़, भूकंप आदि से होने वाली तबाही के असर का आंकलन करते हुए यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट को निकालने वाली संस्था है ‘इंटरनेशनल डिस्पेलेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर।’ रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 में भारत में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से लगभग इक्यानबे लाख लोग बेघर हुए। पूर्वोत्तर भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश में मानसून के कारण आई बाढ़ से ज़्यादातर लोग बेघर हुए।