बनारस के प्रमुख अखाड़े ने अपनी 478 साल की परंपरा को तोड़ते हुए महिलाओं को भी प्रशिक्षण देने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। इस कदम को महिलाओं के लिए पहलवानी की दुनिया में प्रवेश का नया मार्ग माना जा रहा है।
सूत्रों के अुनसार, बनारस के तुलसी घाट में स्वामीनाथ अखाड़ा ने ये फैसला 2016 में आई आमिर खान की फिल्म दंगल को देखने के बाद लिया। जिसने संगठन के लोगों को 478 सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने के लिए प्रभावित किया है।
इसकी शुरुआत पिछली नागपंचमी के दिन से हुई थी। इस दिन हुई इस प्रतियोगिता में यूपी के कई हिस्सों से करीब एक दर्जन लड़कियों ने भाग लिया था। जिसमें तीन राउंड मैचों के हुए इस आयोजन के अंत में संकटकामोचन फाउंडेशन द्वारा विजेताओं के रूप में चार लड़कियों को घोषित किया गया।
अखाड़ा जहां पर इस प्रतियोगिता का आयोजन करता है, उस घाट का नाम तुलसीदास के नाम पर रखा गया है।
अखाड़े की इस परंपरा को तोड़ने का श्रेय डॉ. विशंभर नाथ मिश्रा को जाता है, जो महंत होने के साथ–साथ प्रोफेसर और वाराणसी संकटमोचन मंदिर के महंत हैं।