जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगांव, चोलापुर। सर्वशिक्षा अभियान के तहत भारत के हर चैदह साल से कम उम्र के बच्चे का अधिकार है मुफ्त शिक्षा और मीड डे मील। लेकिन स्कूलों में कोई सुविधा ही नहीं है तो कहां पूरा हुआ बनारस के बच्चों का अधिकार?
बनारस के दो ब्लाकों के स्कूलों का आंखों देखा हाल
यहां के उमरहां गांव में कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय और प्राथमिक विद्यालय में शौचालय और हैण्डपम्प नहीं है। डुबकियां के प्राथमिक विद्यालय में भी शौचालय नहीं है। चोलापुर, जगदीशपुर, धरसौना के स्कूलों में बच्चों को पीने के पानी के लिए सौ मीटर दूर जाना पड़ता है। शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता है। पानी पीने या शौच के बहाने बच्चे स्कूल से भाग भी जाते हैं। विशाल, श्यामराज, आरती समेत कई स्कूली बच्चों ने बताया कि कई बार प्रधानाचार्या से लिखित शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस बारे में प्रधानाचार्या लैलून निशा और शिक्षिकाएं प्रतिमा, साधना, पुष्पा ने बताया कि 10 जून को ब्लाक पर बीडीओ के साथ बैठक में इन समस्याओं पर लिखित प्रस्ताव दिया गया है।
प्रधान भइयालाल और नन्दलाल का कहना है कि पूर्व प्रधानी में बजट आया था आधा बना और आधा बाकी रह गया। प्रधान राम अवतार का कहना है कि स्कूल के बारे में प्रधानाचार्या देखते हैं।
इन सब के बारे में बेसिक शिक्षा अधिकारी परमहंस सिंह यादव का कहना है कि पिछले साल 31 स्कूलों की बाउन्ड्री बनवाई गई थीं। इस साल 160 बाउन्ड्री बनवाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान को प्रस्ताव भेजा है। रही बात शाचालय की तो 2006 से उनकी देख रेख जिला पंचायत राज्य अधिकारी करते हैं। हैण्डपम्प के लिए जल निगम को सूची भेजते हैं। प्रधानध्यापक को खुद से हैण्डपम्प मरम्मत के लिए शिकायत बीडीओ से करनी चाहिए। वैसे छोटी मोटी मरम्मत गांव के प्रधान कर सकते हैं।