बनारसी कपड़े पर राजा महाराजा की तस्वीरें, बाईबिल की किताब और पुलिस बैच बनाना यह कपड़े पर मामूली छपाई नहीं है, बल्कि बनारस के बुनकारों की बेहतरीन हस्तकला है जो उनके करघे यानी हैंड्लूम के ताने बाने से तैयार हुई हैं। धर्म की नगरी काशी वैसे भी अपने बेहतरीन हुनर के लिए प्रसिध्द हैं। चाहे वो हस्तशिल्प का हो या जरी या फिर मशहूर बनारसी साड़ी की बुनाई की कला का ये सब काशी के हुनर और काशी की पहचान है और यहाँ भी इन बुनकरों की रोजी रोटी का भी जरिया है, तो जानते है इस कला के बारे में ये वाराणसी जिले के औरंगाबाद मुश्लिम बस्ती के लोगों सेर बुनकर आदिल हुसैन उदास मन से बताते हैं कि सरकारी योजना केवल नाम के लिए हैं, लेकिन जिन बुनकरों को वाकई में जरूरत है, उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिलता है।
बुनकर फरजन अली का कहना है कि ये हैंडवर्क है। ये हमें कम्प्यूटर द्वारा कलरदार डिजाइन मिलते हैं जिन्हें, हम देखकर अपने हिसाब से बनाते हैं। ये काम करने का कम से कम 500 रूपये मिलने चाहिए। हमसे अच्छा, तो वो राज मिस्त्री है, जो आठ घंटे की डयूटी करता है और 500 रूपये रोज का उसको मिलता है। हम तो दस घंटे काम करते हैं उसके बावजूद हमें 300, 400 रूपये मिलते हैं। हमारी जैसे ही आँख खराब हुई तो हम किसी के काम के नहीं रहेंगें। ना ही हमारी कोई वैल्यू नहीं रहेगी। बुनकर तौहीद अहमद ने बताया कि ये डिज़ाइन की ग्रीस फादर लोगों की ड्रेस का है। बुनकर अब्दुल ने बताया कि बड़ा काम होता है तो घंटो काम बैठकर करना पड़ता है। 38 रूपये घंटे का जोड़कर मिलता है। कुछ काम ऐसा भी है कि जिसका समय और पैसा दोनों फिक्स है। अगर समय पर काम नहीं हुआ, तो पैसे भी नहीं मिलते हैं।
रिपोर्टर: अनामिका
Published on May 24, 2018