बदायूं जिले के कटरा सआदतगंज गांव जहां 27 मई 2014 को दो लड़कियों की लाशें पेड़ से टंगी हुई पाई गईं वहां 9 दिसंबर को खबर लहरिया के पत्रकारों ने जाकर मामले को कुरेदा। जब से जांच एजेंसी सी.बी.आई. की जांच रिपोर्ट आई है, मीडिया भी चुप है।
अब लड़की के मां बाप को नहीं पता कि आगे कैसे कानूनी लड़ाई लड़नी है, लेकिन उनका कहना है कि वे इंसाफ लेकर रहेंगे।
पहला सवाल मुख्यधारा की मीडिया में यह तथ्य सामने नहीं आया कि पुलिस कांस्टेबल सर्वेश यादव और आरोपी पप्पू यादव दूर के रिश्तेदार थे?
दूसरा सवाल छोटी लड़की के बाप सोहनलाल सिंह के साथ गांव के कई लोगों ने आरोपियों को बेगुनाह बताए जाने पर एक सवाल उठाया है कि क्या थाने में जाकर सभी आरोपियों खासकर पप्पू यादव के रिकार्ड की पड़ताल की गई? गांव पहुंचने पर अगर आप थोड़ा घुलमिलकर लड़कियों से बात करेंगे तो पता चल जाएगा। पप्पू यादव के लिए लड़कियों से छेड़छाड़ और छींटाकशी करना आम बात थी?
तीसरा सवाल पहली बार बलात्कार और हत्या की रिपोर्ट देने वाले उस डाक्टर के साथ क्या किया गया? अगर सी.बी.आई. रिपोर्ट को सच मानें तो फिर मेडिकल जांच रिपोर्ट जैसे मान्यता प्राप्त सबूतों पर सवाल उठते हैं।
चैथा सवाल मान भी लें कि इज्ज़त के नाम पर लड़कियों को परिवार ने मारा या आरोपी पप्पू यादव के साथ संबंधों का खुलासा होने से घबराई लड़की ने आत्महत्या कर ली। फिर छोटी लड़की क्यों मरी? अगर झूठी इज़्ज़़त के नाम पर उनकी मौत हुई है तो इसका दोषी कौन है? फिर इस नए सवाल के साथ जांच क्यों नहीं शुरू हुई? छोटी लड़की के हमउम्र भाई से बातों ही बातों में पूछा तो पता चला कि अधिकारी आए थे और इस सी.बी.आई. रिपोर्ट को मंज़ूर करने का दबाव बना रहे थे।
बदायूं में 27 मई 2014 को दो नाबालिग लड़कियों की लाश पेड़ पर टंगी पाई गई। लड़कियां एक दिन पहले शाम से गायब थीं। 29 मई को मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर साबित भी हो गया कि लड़कियों का बलात्कार कर उन्हें मारकर पेड़ से टांगा गया। 12 जून को सी.बी.आई. ने जांच शुरू की। पांच महीने बाद आई रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों का बलात्कार ही नहीं हुआ था। उन्होंने आत्महत्या की थी। पांचों आरोपी बेगुनाह पाए गए।