बिटियन अउर मेहरियन के साथै होय वाले अपहरण, छेड़खानी अउर बलात्कार जइसे घटना का पुलिस रोक पावैं मा काहे नाकाम है? काहे इनतान की घटना पैदा करैं वालेन के संख्या दिन दिनै बढ़त जात है? घटना का अंजाम दें वाले अपराधी खुले आम काहे घूमत हैं? इं लोगन का कम करैं अउर कड़ी से कड़ी सजा देब कहिके जिम्मेदारी आय? इनतान के तमाम सवाल हैं जउन बार बार उठत है।
दिल्ली गैंगरेप के बाद जेतना कठोर कानून बनावा गा है शायद वतना ही छेड़खानी, बलात्कार अउर अपहरण के घटना बढ़त जात हैं। चाहे व पश्चिमी बंगाल मा एक बिटिया के साथै ग्यारह लोगन के द्वारा कीन गा बलात्कार होय या फेर बांदा जिला मा दिन मा दिन बढ़त बलात्कार अउर अपहरण के घटना होय। कानून चाहे जेतना कठोर काहे न होय, सजा चाहे जेतना बढ़ा दीन जाय अउर चाहे जेतनी पुलिस प्रशासन होय, इनतान के घटना कम तबै तक न होइहैं जबै तक इंसान खुद मा आपन सोच न बदली।
साथै या भी है कि कानून तौ बने हैं, कानून के रखवाली करैं वाली पुलिस ठोस कारवाही न कइके दिखवती कारवाही करत है। जइसे रपट लिखावैं खातिर मड़इन का परेशान करब। बिटिया या मेहरियन से बेहूदे सवाल पूछब। उनकर अपमान करब, गाली देब अउर समझौता करैं का दबाव बनावब। हेंया तक कि रूपिया वाला मड़ई के हाथ पुलिस बिक जात है अउर वहिके मन मुताबिक काम करत है। अगर पुलिस आपन समय ठोस कारवाही करैं, जनता का जागरूक करैं अउर उनके सोच बदलै मा लगावै तौ शायद घटना कम होई सकत हैं?
बढ़त अपहरण अउर बलात्कार के मामला
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