जिला बांदा। जिले के कई आंगनवाड़ी केन्द्रों की इमारत जर्जर पड़ी है। जिला कार्यक्रम विभाग को कई बार आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने अवगत कराया लेकिन कोई कारवाही नहीं हुई है।
ब्लाक महुआ, गांव सौंता स्योढ़ा की आंगनवाड़ी कार्यकत्री लीला और सहायिका रमसखिया बताती हंै कि उनका केन्द्र छह साल से ध्वस्त पड़ा है। दीवारों में बड़ी बड़ी दरारें हैं। फर्श टूटी है। इस केंद्र में साठ बच्चे आते हैं। बरसात में तो उनके बैठने की व्यवस्था तक नहीं है। हर समय इमारत गिरने का डर बना रहता है। यहीं के नंदना गांव की आंगनवाड़ी कार्यकत्री बबली बताती हैं कि तीन साल से आंगनवाड़ी केन्द्र की इमारत जर्जर है। सेमरिया जदीद के आंगनवाड़ी केन्द्र की छत गिरने की कगार पर है। आंगनवाड़ी कार्यकत्री प्रेमलता ने बताया कि साठ बच्चों को केन्द्र के बाहर बैठाकर पढ़ाती हैं।
बड़ोखर ब्लाक के ग्राम पंचायत तिन्दवारा में विद्यालय के अन्दर आंगनवाड़ी केन्द्र है। कार्यकत्री रनिया कहती हैं कि केन्द्र का शौचालय टूटा फूटा है और इमारत की दीवारों में दरारें हैं। साथ ही इस केन्द्र में बच्चों के बैठने के लिए टाट पट्टी और खाना बनाने, खाने के लिए बर्तन व किचन भी नहीं हैं।
दोनों ब्लाकों की बाल विकास सुपरवाइज़र – बड़ोखर में मिथलेष और महुआ में साधना का कहना है कि मरम्मत और अन्य सुविधाओं के लिए बजट अभी तक पास नहीं हुआ है।
बजट के इंतज़ार में आंगनवाड़ी
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