आज हर क्षेत्र मा औरतें काम करती हवै। बुन्देलखण्ड क्षेत्र का अगर औरतें काम न करैं तौ परिवार का पेट पालब मुश्किल होइ जात हवै। काम मड़ई दुई तान से करत हवै एक तौ पेट रोटी खातिर दूसर आपन सउख पूर करै खातिर। कुछ यहिनतान कर देखाइस हवै चित्रकूट जिला के राम नगर ब्लाक गांव चोरहा के सुनीता।
सुनीता का बचपन से सउख रहै कि वा अपने से घर बनाई। घर बनावै का काम वा अपने मइके मा भाई बाप का घर बनावत देखा करै तौ सोचा करत रहै कि कबै घर बनइहांै। मनसवन के मारे हाथ नहीं लागत रहै। शादी होय के बाद जबै वा ससुरै आई तौ वहिकर मनसवा अउर ससुर घर बनावै का काम करत रहंै। एक दिन वहिसे न रहा गा। वा अपने मनसवा अउर ससुर से कहिस कि माटी का घर वा भी बना सकत हवै। उंई वहिकर बात हंस के टाल दिहिन। वहिकर मनसवा जबै परदेश चला गा तौ पानी बरसै से घर गिर गा रहै तौ सुनीता अपने हाथन से घर बनाइस हवै।
वा कउनौ मनसवन से कम नहीं आय। अपने से फरूवा चलावत हवै अउर दिवालन चढ़ चढ़ के ऊंच दिवाल बनावत हवै। दुई महीना पहिले जबै वहिकर मनसवा परदेश से आवा तौ घर नवा नवा देख के दंग रहिगा पूछै मा पता लाग कि घर सुनीता बनाइस हवै ।