सिनेमाघरों में फिल्मों के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान न बजाए जाने की सिफारिश की जा सकती है। यह सिफारिश 12 सदस्यों वाली अंतर मंत्रालयी समिति कर सकती है।
सूत्रों के हवाले से समिति के विचार में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाए जाने से फिल्म का प्रदर्शन प्रभावित होता है। साथ ही राष्ट्रगान के सम्मान और गौरव के लिए भी यह उचित नहीं है।
राष्ट्रगान किन मौकों पर गाया व बजाया जाए इसके लिए बीते साल पांच दिसंबर को एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था। इस समिति का मानना है कि राष्ट्रपति के भाषण से पहले और बाद में, राष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल की उपस्थिति वाले राज्य व राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान राष्ट्रगान बजाया जाना चाहिए।
समिति के मुताबिक ध्वजारोहण और स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के समय भी राष्ट्रगान होना चाहिए। इसके अलावा कई दूसरों मौकों पर भी राष्ट्रगान बजाए जाने को लेकर विचारों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सिनेमाघरों के लिए राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता खत्म करते हुए इसे स्वैच्छिक कर दिया गया था।