मौसम की मार एक बार फिर किसान पर पड़ी है। होली के आसपास हुई बरसात ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। हर बार की तरह किसान फिर मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। लोग बता रहे हैं कि लेकिन बेमौसम हुई बरसात के पंद्रह दिन बीतने के बाद भी वहां कोई नहीं पहुंचा। हालांकि अधिकारी अपना रटा रटाया बयान देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
जिला फैजाबाद और अंबेडकर नगर। किसान रामआसीस, अमरजीत वर्मा, प्रतावीपुर के विजयकान्त बीरापट्टी के दुलारमती, गोपालपुर के विवेक ने बताया कि बेमौसम बारिस और तेज हवा के कारण गेहूं की खड़ी फसल गिर जाने से पैदावार आधी हो जायेगी। आलू की फसल सड़ने की कगार में है। गेहूं सरसों मटर की फसल जमीन पर चित पड़ी हैं।
फैजाबाद पूराबाजार के भीखापुर की नसरीन और रैफुननिशा ने एक बीघा खेत में आलू बोया था लेकिन वह अब सड़ चुका है। तारून ब्लाक के रामजनम और संजय की सरसों और मटर की फसल में पानी बरसने के कारण फंफूदी लग चुकी है।
यहां भी पड़ी मौसम की मार
जिला बांदा। बबेरू ब्लाक के गांव अलिहा के किसान रामबहोरी ने अपने खेतों के साथ तीस बीघा खेती बंटाई की भी ली थी। उसमें गेंहू और मसूर की फसल बोई था। लेकिन बारिस में सब बह गया। खबर लिखे जाने तक कोई सर्वे भी नहीं हुआ था।
बबेरू के तहसीलदार लालाराम ने बताया कि सर्वे शुरू हो चुका है। लेखपालों की टीम बनाकर गांवों में भेज रहे हैं।
ब्लाक महुवा, गांव अनथुआ और पैगम्बरपुर। अनथुवा के किसान राधे श्याम, गोला पेगम्बरपुर के किसान रामप्रसाद और रामगोपाल के घर का खर्चा खेती से ही चलता है। पूरा साल कैसे बीतेगा, उन्हें नहीं पता। अब तक कोई अधिकारी सर्वे करने नहीं आया।
एस.डी.एम. आर.के. श्रीवास्तव ने कहा कि लेखपालों को सर्वे का आदेश दे दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद नुकसान के हिसाब से किसानों को मुआवज़ा मिलेगा।
तहसीलदार की मानें तो सर्वे शुरू हो चुका है। एस.डी.एम. की मानें तो अभी आदेश दिया गया है। तो क्या आदेश बाद में दिया गया और सर्वे पहले ही शुरू हो गया? और अगर यह सर्वे शुरू हो गया है तो क्या लोग झूठ बोल रहे हैं?